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समलैंगिकों के हाथ में देखने वाले इस इंद्रधनुषी झंडे का राज़ जानते हैं आप?

समलैंगिकों के हाथ में देखने वाले इस इंद्रधनुषी झंडे का राज़ जानते हैं आप?

N4N Desk: सुप्रीम कोर्ट ने भारत में दो व्यस्क लोगों के बीच समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं माना हैं. समलैंगिकों के हाथ में अपने एक इंद्रधनुषी झंडा देखा होगा लेकिन क्या आपको पता है इस झंडे का बहुत महत्त्व है. वयस्क समलैंगिकता को धारा 377 से बाहर किए जाने के फैसले के बाद कई राज्यों में एलजीबीटी समुदाय के लोगों के बीच खुशी का माहौल है.


समलैंगिकता को लेकर प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों का मानना है कि इंद्रधनुष सा दिखने वाला यह झंडा उनके समलैंगिक की पहचान काे दर्शाता है. ये झंडा उन्हें कॉन्फिडेंस देता है सर उठा कर जीने का. इस झंडे में लाल, ऑरेंज, पीला, नीला और बैंगनी रंग शामिल है. जो देखने से इंद्रधनुष जैसा दिखता है. इंद्रधनुषी झंडा एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक है.

जब भी एलजीबीटी समुदाय के लोग और कई प्रदर्शनकारी समलैंगिकता का समर्थन करना चाहते हैं तो वह इन झंडों को घरों के सामने लगाकर समलैंगिकता के लिए अपना समर्थन जाहिर करते हैं. समलैंगिकों का ये झंडा सबसे पहले सेन फ्रांसिस्को के कलाकार गिल्बर्ट बेकर ने एक स्थानीय कार्यकर्ता के कहने पर समलैंगिक समाज को एक पहचान देने के लिए बनाया था.

सबसे पहले उन्होंने 5 पट्टे वाले "फ्लैग ऑफ द रेस" से प्रभावित होकर इस आठ पट्टे वाले झंडे को बनाया था. वहीं अब इस झंडे में 6 रंग है. कुछ साल के बाद 1979 के समलैंगिक परेड लिए जब झंडा बनने वाला था तो गुलाबी और फिरोजा रंग को हटा दिया गया. बाद में नीले रंग को भी शाही नीले रंग से बदल दिया गया. बाद में इन छह रंगों को छह पट्टियों में बदल दिया गया. 

ये झंडा समलैंगिक के लिए केवल एक झंडा नहीं बल्कि उनके सम्मान का प्रतिक है. इस झंडे को देखा कर समलैंगिक ये दर्शाना चाहते हैं कि वे भी समाज का हिस्सा है और उन्हें भी गर्व से जीने का हक है और अब उन्हें ये हक मिल भी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उन्हें गर्व से जीने का मौका दे दिया है.

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