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आधुनिक उपकरणों से लैस हुआ वाल्मीकिनगर वेधशाला, मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी

आधुनिक उपकरणों से लैस हुआ वाल्मीकिनगर वेधशाला, मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी

BAGAHA : वाल्मीकिनगर स्थित भूकंप वेधशाला में नए उपकरण लगाए गए है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के 146 वें स्थापना दिवस के मौके पर वाल्मीकिनगर स्थित भूकंप वेधशाला में शुक्रवार को नया व आधुनिक उपकरण लगाया गया. मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर ने बताया कि नव स्थापित तमाम उपकरणों ने 15 जनवरी से काम करना प्रारंभ कर दिया है. बताते चलें कि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस केंद्र में लॉन्ग टर्म क्लाइमेट मॉनिटरीग (दीर्घकालीन जल वायु निरीक्षण) केंद्र बनाने की सहमति प्रदान की है. इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट के मौसम विज्ञान केंद्र पटना व सतही मौसम विज्ञान वेधशाला के द्वारा मौसम के विभिन्न यंत्रों की स्थापना की गई है. जिसमें तापमान मापी यंत्र, वर्षा मापी यंत्र, पवन वेग मापी यंत्र, वायुदाब मापी यंत्र की स्थापना की गई है. मौसम विज्ञान केंद्र पटना के वैज्ञानिक आनंद शंकर की निर्देशन में सारी मशीनरी की स्थापना की गई है. 

इसकी स्थापना से मौसम के डेटा का उपयोग, अनुसंधान, पूर्वानुमान की सटीकता संख्यात्मक मौसम मॉडल, गणितीय संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल में उपयोग किया जा सकेगा. इस वेधशाला की स्थापना से मौसम की चरम घटनाओं का पूर्वानुमान तथा उसके अवलोकन की सटीकता बढ़ जाएगी. मौसम विज्ञान केंद्र पटना के निदेशक विवेक सिन्हा के दिशा निर्देश में वेधशाला क्रियान्वित किया जा रहा है. इस बाबत मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि 2 दिनों के बाद ठंड से राहत मिलने वाली है. कोहरा भी 3 दिनों तक रहेगा. बारिश की संभावना भी है. यह वेधशाला अत्याधुनिक भूकंप सेंसर और वीसैट संचार सुविधा के साथ ही भूकंप रिकार्डर से लैस होगी. इसके माध्यम से क्षेत्र के भूकंप से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी और यह वेधशाला भूकंप की प्रक्रियाओं को समझने, वैज्ञानिक अध्ययन, अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाएगी.  प्राकृतिक आपदा आने पर उससे संबंधित महत्पूर्ण आंकड़े और जरूरी जानकारी इस केंद्र में मिल सकेंगी. वेधशाला अत्याधुनिक भूकंप सेंसर और वीसेट संचार सुविधाओं से लैस होगी. 

बताते चलें कि 1864 में आए भीषण चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और 1866 और 1871 के अकाल के बाद, मौसम संबंधी विश्लेषण और संग्रह कार्य एक ढांचे के अंतर्गत आयोजित करने का निर्णय लिया गया था. नतीजतन, 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई. मौके पर वैज्ञानिक सहायक अवधेश कुमार एवं सुधांशु कुमार मौजूद रहे. 

बगहा से माधवेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट

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