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वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की मनाई गयी 482 वीं जयंती, वक्ताओं ने की वीरता और पराक्रम की चर्चा

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की मनाई गयी 482 वीं जयंती, वक्ताओं ने की वीरता और पराक्रम की चर्चा

GAYA : शहर के वार्ड संख्या 49 अंतर्गत मानपुर बैजनाथ सहाय लेन पटवाटोली में महान योद्धा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 482 वीं जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम उनके तस्वीर पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। वहीँ मौके पर उपस्थित भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रमोद चौधरी ने कहा कि महाराणा प्रताप वीर योद्धा, अदम्य साहस और स्वाभिमान के प्रतीक थे। वे एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। 

उन्होंने तत्कालीन मुगल बादशाह अकबर से लोहा लेने का काम किया। अकबर लगभग 30 वर्षों तक महाराणा प्रताप को बंदी बनाने के लिए कोशिश करते रहा। लेकिन उनकी कोशिश हमेशा विफल साबित हुई। उन्होंने मेवाड़ की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े और जीते भी। लेकिन उनके जीवनकाल में जो अकबर के साथ युद्ध हुआ। वह आज तक का प्रसिद्ध युद्ध माना गया। साथ ही इस अवसर पर उपस्थित बुनकर नेता दुखन पटवा ने कहा कि महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई सन 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। वह मेवाड़ सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। 

उन्होंने अपने जीवन काल में मुगलों को कई बार युद्ध में पराजित किया था। इसमें महाराणा प्रताप वीरता और पराक्रम के लिए अमर माने जाते हैं। वे एक ऐसे राजा थे। जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं किया था। आज के जयंती अवसर पर प्रेम नारायण महाजन, सुजीत कुमार,केदार प्रसाद,दीनदयाल मिस्त्री,मेघनाथ प्रसाद,लक्ष्मण तांती,बिनोद प्रजापत,बंगाली प्रसाद सहित अन्य लोग उपस्थित होकर नमन किए। 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट 

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