डेस्क... बिहार में नई सरकार के गठन और नए विधानसभा अध्यक्ष के चुने जाने के बावजूद बिहार विधानसभा की दर्जनों समितियों का गठन अब तक नहीं हो पाया है। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया था कि विपक्ष विधानसभा की समितियों के लिए नाम नहीं दे रहा। उसके जवाब में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष को परंपरा की याद दिलाई है। तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष के नाम पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय जनता दल को किन-किन समितियों के सभापतित्व का कार्यभार सौंपा जाएगा, इसकी जानकारी ही अभी तक नहीं दी गई है।
बता दें कि पिछली सरकार के खत्म होने के साथ ही विधानसभा की तमाम समितियां अब तक बंद हैं। सरकार के गठन और विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही तमाम समितियों का गठन हो जाना चाहिए था पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अ़ड़ियल रुख और लेटलतीफी के कारण समितियों का गठन नहीं हो पा रहा है।
क्या हैं ये विधानसभा की समितियां
विधानसभा में अलग-अलग कार्यों के लिए समिति बनाई जाती है। बिहार विधानसभा में इस वक्त कुल 27 विभिन्न प्रकार की समितियां हैं। जैसे - लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, आचार समिति, योजना समिति। इनमें विधायकों की संख्या के आधार पर सदस्य और सभापति की नियुक्ति होती है। इन नियुक्तियों का अधिकार विधान सभा अध्यक्ष के पास होता है। हर बार नई विधानसभा के गठन के बाद इन समितियों का भी पुनर्गठन किया जाता है।
किस पार्टी को कौन समिति मिले, यह कैसे तय होता है
जानकार बताते हैं कि शासन चलाने की नजर से महत्वपूर्ण समितियों पर सत्ताधारी दल या गठबंधन के दलों का ही कब्ज़ा होता है। बिहार विधानसभा में ऐसी कुछ महत्वपूर्ण समितियां हैं - प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति, शून्यकाल समिति, प्राक्कलन समिति, नियम समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधित समिति। लोक लेखा और आचार समितियों के सभापति आम तौर पर विपक्ष के नेता होते हैं।