DARBHANGA : झंझारपुर से सुपौल होते हुए सहरसा के बीच रेल सेवा की शुरुआत हो गयी है। करीब 88 साल से प्राकृतिक आपदा के कारण विखंडित मिथिला के दोनों हिस्से फिर से रेल के जरिये जुड़ गये हैं। यह मिथिलावासियों के लिए ऐतिहासिक होने के साथ- साथ अभूतपूर्व आनंद का अहसास कराने वाली उपलब्धि है। यह बात विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने रविवार को कही। इस ऐतिहासिक सौगात के लिए उन्होंने संपूर्ण मिथिलावासी की तरफ से श्रद्धेय अटल जी को नमन करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री एवं पूर्व रेल मंत्री नीतिश कुमार और मौजूदा रेल मंत्री आश्विनी बैष्णव के प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि नये रेल ट्रेन का परिचालन शुरू होने से मिथिला की डायरेक्ट कनेक्टिविटी संपूर्ण मिथिला की हो गई है। इससे मिथिला में उद्योग और निवेश के न सिर्फ नये दरवाजे खुलेंगे, बल्कि मिथिला सहित संपूर्ण बिहार के एक बड़े हिस्से के विकास को एक नई गति मिलेगी। कार्यकरी अध्यक्ष डाॅ बुचरू पासवान ने रेल मंत्रालय के कदम की सराहना करते कहा कि अब मिथिला का बहुआयामी विकास होना सुनिश्चित हो गया लगता है।
सचिव प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि इससे मिथिलावासियों के चिर प्रतिक्षित सपनों को पंख लग गए हैं। इस रूट पर रेल का परिचालन पुनर्बहाल होने से मिथिला के कुटीर उद्योगों को नये आयाम मिलने के साथ ही सांस्कृतिक विकास को नया फलक मिलेगा। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि अब उत्तर बिहार के बड़े हिस्से को विकास की गति मिलने के साथ ही मिथिला मखान के कारोबार को नई ऊंचाई मिलेगी।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि रेल मार्ग के जरिये विखंडित मिथिला के एक होने से मिथिला क्षेत्र के विभिन्न जिलों सहित नेपाल के लोगों को यात्रा की सुविधा के साथ ही इस क्षेत्र की सभ्यता, संस्कृति और व्यवसाय को एक नया आयाम मिलेगा। खुशी जाहिर करने वाले अन्य लोगों में डाॅ महेन्द्र नारायण राम, हरिश्चन्द्र हरित, हीरा कुमार झा, विनोद कुमार झा, प्रो विजय कांत झा, आशीष चौधरी, डाॅ गणेश कांत झा, दुर्गानंद झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, पुरूषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा आदि शामिल हैं।
दरभंगा से वरुण ठाकुर की रिपोर्ट