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SP साहब बड़े घोटाले की जांच वाली फाइल दबाकर बैठे थे....! निगरानी ADG ने DIG को दिया जांच का जिम्मा

SP साहब बड़े घोटाले की जांच वाली फाइल दबाकर बैठे थे....! निगरानी ADG ने DIG को दिया जांच का जिम्मा

कई सालों से जांच की फाईल दबाकर बैठे निगरानी एसपी से पाठ्य-पुस्तक घोटाले की जांच वाली फाइल ले ली गई है।अब निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीआईजी रविन्द्र कुमार मामले की जांच करेंगे।मकसद है जांच रिपोर्ट शीघ्र आ सके और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।

निगरानी विभाग के एडीजी सुनील कुमार झा ने यह आदेश दिया है। घोटाले की जांच में तेजी लाने के लिए निगरानी ब्यूरो डीआईजी के नेतृत्व में एक टीम गठित होगी।टीम पूरे मामले की जांच कर आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेगा। अबतक इस घोटाले की जांच निगरानी एसपी अमजद अली कर रहे थे लेकिन सालों बाद भी इस घोटाले में आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है।

मामले में जल्द कार्रवाई को लेकर निगरानी विभाग के प्रधान सचिव आर. के. महाजन ने कई बार निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के एडीजी सुनील कुमार झा को पत्र लिखकर मामले की जांच शीघ्र निष्पादित करने का निर्देश दिया था।प्रधान सचिव के इस आदेश के बावजूद भी इस घोटाले की जांच में कोई तेजी नहीं आ रही थी। मामले में बिहार विधान मंडल में भी एक सवाल के जवाब में आशवस्त किया था कि इस घोटाले की जांच शीघ्र पूरी होगी। 

बता दें कि पाठ्य पुस्तक घोटाले में कई वरीय अफसर व नामचीन लोग आरोपित हैं।आरोपियों पर कार्रवाई को लेकर कई बार विधानमंडल में इस पर हंगामा हो चुका है।सरकार के तरफ से सदन को यह आश्वस्त किया गया था कि निगरानी विभाग इस मामले में जांच कर रही है और दोषियों पर कार्रवाई होगी।चार साल बीतने के बाद भी निगरानी के अधिकारी उक्त फाइल को दबाए बैठे थे।

क्या है मामला

बता दें कि पाठ्य-पुस्तक की छपाई व वितरण के टेंडर में अनियमितता बरती गई थी। नियमों को तक पर रखकर कुछ चुनिंदा संवेदक को वर्षों तक पुस्तकों की कवरिंग व वितरण का ठेका दिया गया। एक साजिश के तहत पुस्तकों की कवरिंग व वितरण में भी करोड़ों रुपए की हेराफेरी की गई। पुस्तकों की छपाई के लिए जितनी राशि खर्च की गई उतनी पुस्तकें नहीं छपी। प्रिंटर्स व टेस्टबुक के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की अनियमितता की बात सामने आई थी।



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