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नीतीश-तेजस्वी पर जमकर बरसे विजय सिन्हा, जनादेश का अपमान करने का लगाया आरोप

नीतीश-तेजस्वी पर जमकर बरसे विजय सिन्हा, जनादेश का अपमान करने का लगाया आरोप

पटना. विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के बाद विजय सिन्हा ने नीतीश नीत महागठबंधन की सरकार को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने नीतीश कुमार पर जनादेश का अपमान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिहार में 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्राप्त जनादेश का अपमान करके आज महागठबंधन सरकार सत्ता में आई है, जिससे बिहार और बिहार के लोकतांत्रिक विरासत शर्मसार हुई है। 24 अगस्त 2022 को सप्तदश विधानसभा के षष्टम सत्र में निर्धारित कार्यसूची में बदलाव निर्धारित नियम एवं प्रावधानों के विरुद्ध अलोकतांत्रिक तरीके से किया गया, जो खेदजनक है।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए मेरे द्वारा सदन संचालन हेतु कार्य सूची निर्धारित की गई थी, जिसमें अध्यक्ष के प्रारंभिक संबोधन के बाद बिहार विधानसभा की समितियों के प्रतिवेदन को सभा के समक्ष रखा जाना था, परंतु सभा सचिवालय द्वारा रात्रि में इस क्रम को बिना किसी आदेश के बदलकर नियमों को गलत तरीके से स्व-व्याख्या करते हुए गैर सरकारी कार्य को भी सरकारी बताकर कार्य सूची में फेरबदल कर दिया गया। यह सदन के स्थापित परंपरा के साथ-साथ नियम विरुद्ध कार्रवाई थी एवं आसन का अपमान भी था।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन करती रही है। हमें मालूम है कि हमें विधानसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए हमने बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना प्रत्याशी नहीं उतारा, जबकि यह लोग ऐसे अवसर पर हमेशा अपना स्वभाव और चरित्र उजागर करते रहे हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि इतिहास गवाह है। बिहार में नवगठित वर्तमान महागठबंधन की सरकार को लोकतांत्रिक नियमों एवं मर्यादा में न तो कभी विश्वास रहा है, न ही इसकी इन्हें चिंता होती है।

विजय सिन्हा ने कहा कि आज आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखा होगा कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव किस प्रकार से जांच एजेंसी की खिल्ली उड़ा रहे थे। इन्हें न तो कानून के प्रति श्रद्धा है, न ही जांच एजेंसियों पर भरोसा है। इन्हें तो बस सिर्फ अपनी मनमानी करनी है। किसी भी व्यक्ति और संस्था द्वारा जांच एजेंसियों और संस्थाओं को कटघरे में खड़ा करना भी और लोकतांत्रिक व्यवहार की श्रेणी में आता है। इन्हें न तो कानून में विश्वास है, न ही लोकतांत्रिक मर्यादा का ख्याल है। इनके मंत्रिमंडल में 72 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री दागी हैं, लेकिन इनकी बोली बंद है। मुख्यमंत्री की तो जीरो टॉलरेंस की नीति का हवा निकल गई है।


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