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विकास दुबे ने STF को बताई थी पूरी कहानी,किस हथियारों से कर रहा था फायरिंग,किसके मारे जाने के बाद पहुंचा सबसे ज्यादा दुख

विकास दुबे ने STF को बताई थी पूरी कहानी,किस हथियारों से कर रहा था फायरिंग,किसके मारे जाने के बाद पहुंचा सबसे ज्यादा दुख

DESK: यूपी के मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे के अलावा उसके पांच गुंडों को पुलिस ने परलोक पहुंचा दिया है। विकास को उज्जैन से पकड़े जाने के बाद शुक्रवार कानपुर से 25 किलोमीटर पहले इनकाउंटर होता है और विकास मारा जाता है. मौत से पहले उज्जैन से लाते समय विकास दुबे ने एसटीएफ को पूरी जानकारी दी थी।उसने पुलिस को बताया कि किन हथियारों से पुलिस पर हमला किया और किसके मारे जाने के बाद वो टूट गया था।

पुलिसिया पूछताछ में विकास दुबे ने बताया कि भांजा शिवम तिवारी के नाम से हमने विनचिस्टर कम्पनी की सेमी ऑटोमैटिक रायफल ले रखी थी.उसी हथियार से अमर  दुबे फायरिंग कर रहा था.अतुल एवं अन्य लोग भी राइफल और देशी पिस्टल से फायरिंग कर रहे थे।ये लोग मामा प्रेम प्रकाश की छत से और मैं अपनी छत से रिपीटर बंदूक से गोलियां चला रहा था. मेरा मकसद दहशत फैलाने का था. लेकिन जब पुलिसवाले भागने लगे तब मैंने नीचे उतरकर देखा तो 8 पुलिस कर्मी मरे पड़े थे.मैंने नीचे आकर रायफल से एक गोली सीओ के पैर में मारी थी, क्योंकि वो कहते थे कि विकास एक पैर से लंगड़ा है मैं उसे दोनों से कर दूंगा।इसके बाद शवों को डीजल से जलाने की तैयारी थी, लेकिन समय नहीं मिल पाया।


विकास दुबे ने आगे बताया कि मैं समझ गया था कि इस खूनखराबे के बाद पुलिस मुझे खोजने के लिए जी-जान लगा देगी।हमने गिरोह के लोगों को अलग अलग भागने को कहा । खुद हम अतुल और अमर को लेकर पैदल शिवली पहुंचे.जहां एक करीबी के घर दो दिन तक रुका. जानकारी मिली कि शनिवार की देर रात पुलिस ने हमारे  बहनोई को पकड़ लिया है।इसके बाद यहां से तड़के चार बजे निकला. नगर पालिका के एक पदाधिकारी और मेरे करीबी ने अपनी सिल्वर कलर हुंडई कार को ड्राइवर के साथ मुझे, अमर और अतुल को फरार करवाया. 

विकास दुबे ने पुलिस को बताया कि वहां से सीधे नोएडा होते हुए दिल्ली गए, जहां कुछ वकीलों से मुलाकात हुई. उनसे सरेंडर की बात हुई. पचास हजार रुपये एडवांस दिलवाने को उन्होंने बोला था. यह भी तय हुआ था कि उज्जैन में सरेंडर करेंगे. इस पर मैंने गाड़ी वापस शिवली भेज दी और बस से फरीदाबाद गया, एक दिन रुकने के बाद मैं दोबारा फरीदाबाद से वकीलों के पास दिल्ली पहुंचा. वापस फरीदाबाद जाना था, लेकिन तब तक पता चला कि अभय गिरफ्तार हो गया है. ऐसे में मैंने संदीप पाल के नाम से पहले दिल्ली से जयपुर के टिकट कराया. फिर जयपुर से झालावाड़ गया और वहां से उज्जैन आया. वकील से यह बात भी हुई थी कि सरेंडर होते ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई जाएगी, जिससे पुलिस मेरा एनकाउंटर न कर पाए.उसने पुलिस की पूछताछ में बताया कि मुझे अमर और अतुल की मौत से सबसे ज्यादा दुख पहुंचा था.

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