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औरंगाबाद की प्रतिमा की हत्या पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, कैंडिल मार्च निकालकर आरोपियों के गिरफ्तारी का किया मांग

औरंगाबाद की प्रतिमा की हत्या पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, कैंडिल मार्च निकालकर आरोपियों के गिरफ्तारी का किया मांग

AURANGABAD : मदनपुर के पड़रिया निवासी हिमांशु की पत्नी प्रतिमा के प्रताड़ना मामले में अगर पुलिस संज्ञान ले लेती तो शायद उसकी हत्या नही होती और वह इस दुनिया मे होती। प्रतिमा हत्याकांड मामले में पुलिस की ओर से संवेदनहीनता तथा लापरवाही बरती गई। इसी लापरवाही को लेकर बुधवार की शाम ग्रामीणों का गुस्सा पुलिस पर फूट पड़ा और कैंडल मार्च निकालकर पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कैंडल मार्च का प्रतिनिधित्व कर रहे खिरियावां पंचायत के सरपंच पति ने बताया कि प्रतिमा की हत्या मामले में जितना दोषी उसके पति हिमांशु की है। उतना ही दोषी मदनपुर की पुलिस भी है। उन्होंने बताया कि जिस दिन उसकी हत्या कर के उसके ससुराल वालों ने उसे फांसी पर लटका दिया था। उसी दिन प्रतिमा ने थाने में आकर अपने प्रताड़ना और हत्या किए जाने की आशंका पुलिस से जताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। 

लेकिन पुलिस ने महिला समझकर थाने से उसे डांट कर भगा दिया। इस बात को पुलिस ने खुद स्वीकार किया है कि प्रतिमा थाने आई थी ।इधर अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस के पास आना प्रतिमा के लिए काल बन गया और क्रोधित हुए पति ने उसी शाम उसकी हत्या कर उसे फांसी पर लटकाकर फरार हो गया। आक्रोशित लोगों ने इस मामले में दोषी पति की गिरफ्तारी और प्रतिमा की बात को संज्ञान में न लेनेवाले पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की है। मृतिका की बहन का कहना है कि 1लाख रुपए नकद और एक बुलेट बाइक की मांग की जा रही थी। लेकिन पैसे के अभाव में नही दे पाए। जिससे मेरी बहन की हत्या कर दी गई।मेरी बहन तो अब इस दुनिया मे नही रही। लेकिन मेरी बहन के हत्यारों की गिरफ्तारी पुलिस जल्द करे और उसे फांसी की सजा हो। वहीं मृतिका की माँ का कहना है कि अगर पुलिस प्रतिमा की थाने में बात सुन लेती और उसे डांट कर न भगाया होता तो प्रतिमा आज जिंदा होती और हमलोगों को ये दिन न देखना पड़ता। हद तो तब है कि थाने के बाहर सैकड़ो की संख्या में लोग हत्यारो की गिरफ्तारी की मांग पर पुलिस ने बेशर्मी भरा बयान दिया है कि हत्यारा अगर आपलोग को दिखे तो मेरे मोबाइल नंबर पर बताए मैं तुरंत वहां पहुंच जाऊंगा। 

गौरतलब है कि बिहार में पुलिस पब्लिक समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से पुलिस के शाब्दिक अर्थ हिंदी में पुरुषार्थी, लिप्सारहित रहित और सहयोगी तथा अंग्रेजी में Polite, Obedient,loyal, intelligent, courageous and efficient बताया गया है। लेकिन औरंगाबाद में कार्यरत पुलिस अधिकारियों पर एक अक्षर भी लागू नही होता। आए दिन लोग पुलिसकर्मियों की शिकायत लेकर वरीय अधिकारियों तक पहुंचते है और कार्रवाई ढाक के तीन पात वाली चरितार्थ होती नजर आती है। इसका जीता जागता उदाहरण प्रतिमा हत्या मामले से देखा जा सकता है। क्योंकि यदि पुलिस जागरूक होती और थोड़ी सी भी मानवता की मिसाल प्रस्तुत करती तो प्रतिमा की जान बच जाती। इस मामले में परिणाम कुछ भी आये। लेकिन यह सवाल यक्ष प्रश्न की भांति खड़ा रहेगा कि प्रतिमा के द्वारा थाने पर आकर अपना दुखड़ा सुनाने के बाद भी मदनपुर की पुलिस ने कोई कार्रवाई क्यों नही की।

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट

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