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गौरैया के संरक्षण के लिए बगहा में ग्रामीणों की पहल, पेड़ों पर लगाये गये घोंसलें

गौरैया के संरक्षण के लिए बगहा में ग्रामीणों की पहल, पेड़ों पर लगाये गये घोंसलें

बेतिया. चिड़ियां गौरैया विलुप्त प्रजातियों की सूची में हो गई। घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती। इस छोटे आकार वाले खूबसूरत पक्षी का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था। अब स्थिति बिल्कुल बदल सी गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है और कहीं- कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती। ऐसे में बगहा - 2 के हरनाटांड़ में गौरैया को बचाने के लिए ग्रामीणों द्वारा पहल की गयी है। पेड़ों पर गौरैया के लिए घोंसलें बनाये गये है, जिसमें खाना-पीना की व्यवस्था की गयी है।

पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को चुग्गा खिलाया करती थी तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे, लेकिन अब तो इसके दर्शन भी मुश्किल हो गए हैं और यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है। पक्षी विषज्ञों के मुताबिक गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास के पन्नों में एक तस्वीर बन कर रह जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले।

वहीं छोटे आकर के इस गौरैया चिड़ियां सहित और भी अन्य पंक्षियों के लिए बगहा - 2 के हरनाटांड़ में कुछ युवकों द्वारा एक सराहनीय कदम उठाए गए है, जो पीपल के पेड़ के साथ अन्य और भी पेड़ों में पंक्षियों को रहने खाने और पीने के लिए टीन के घोंसलें एक पेड़ पर दर्जनों की संख्या में लगाए गए है, जिससे कि इन पंक्षियों को विलुप्त होने से बचाया जा सके। निप्पु पाठक ने बताया गौरैया संध्या प्राती गाने वाली खूबसूरत चिड़िया है।

ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है। गौरैया संध्या प्राती गाने वाली खूबसूरत चिड़िया है, जो हमलोगों के साथ रहती है। दुर्भाग्य है कि आज कंक्रीट के घरों ने हमारे बीच रहने वाली गौरैया को लुप्त प्राय बना दिया है।

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