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बिहार के ये मुख्यमंत्री प्रत्याशियों के लिए ही नहीं अपने लिए भी वोट मांगने नहीं जाते थे, पढ़िए पूरी खबर

बिहार के ये मुख्यमंत्री प्रत्याशियों के लिए ही नहीं अपने लिए भी वोट मांगने नहीं जाते थे, पढ़िए पूरी खबर

DESK : बिहार विधानसभा के 243 सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. दो चरण के चुनाव समाप्त हो चुके हैं और तीसरे चरण की तैयारियां चल रही हैं. कल 15 जिलों में 78 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराये जायेंगे. इसके लिए प्रचार का शोर थम गया है. भाजपा, जदयू, लोजपा, रालोसपा राजद और वाम दलों की ओर कई रैलियाँ की गयी. जिसके माध्यम से लोगों से वोट देने की अपील की गयी. 

लेकिन बिहार में एक ऐसे भी मुख्यमंत्री थे. जिन्होंने कभी लोगों से वोट नहीं मांगे. लोगों की जुबां पर राज्य के उस सीएम के चर्चे आज भी हैं, जो उनसे मिलने के लिए अपने सुरक्षाकर्मियों को हटा देते थे. बात हो रही है बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की, जिन्हें लोग श्री बाबू बुलाते थे और बिहार केसरी के नाम से उन्हें आज भी याद किया जाता है. आपको बता दें कि श्रीकृष्ण सिंह उर्फ श्री बाबू बिहार को आधुनिक बिहार का शिल्पकार कहा जाता है. दरअसल, श्री बाबू के दौर में ही बिहार में औद्योगिक क्रांति आई थी. 

बताया जाता है की श्री बाबू चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के लिए तो क्या अपने लिए भी वोट मांगने नहीं जाते थे. दरअसल, श्री बाबू 1946 में बिहार के सीएम बने थे और 1961 तक इसी पद पर रहे. उनसे जुड़ा यह किस्सा साल 1957 का है, उस वक्त वह शेखपुरा जिले के बरबीघा से चुनाव लड़ रहे थे. उस दौरान उन्होंने अपने सहयोगियों से साफ कह दिया था कि इस चुनाव में वह जनता से वोट मांगने नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा था कि अगर मैंने काम किया होगा या जनता मुझे इस लायक समझेगी, तो वोट देगी। अगर मुझे लायक नहीं समझेगी तो वोट नहीं देगी. 

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