वृन्दावन की लाचारी- बेबस विधवा बेचारी, अब राज्यसभा में विधवाओं को लेकर उठी बड़ी मांग

DESK. वृन्दावन में रह रही विधवाओं की हालत पर चिंता जताते हुए राज्यसभा में बुधवार को एक मनोनीत सदस्य ने सरकार से मांग की कि उनकी स्थिति में सुधार के लिए उपाय किए जाने चाहिए। शून्यकाल में यह मुद्दा भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध मनोनीत सदस्य डॉ नरेंद्र जाधव ने उठाया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भारत अपनी पारिवारिक व्यवस्था के लिए जाना जाता है लेकिन जब वृन्दावन में रह रही विधवाओं की बात आती है तो साफ लगता है कि यह मुद्दा हमारे देश के माथे पर एक धब्बा है।
उन्होंने कहा कि अपनों के द्वारा त्यागी गई ये विधवा महिलाएं वृन्दावन में चिंताजनक स्थिति में गुजर-बसर कर रही हैं और स्थायी पते के अभाव में वे सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं ले पाती हैं। उन्होंने कहा कि कुछ विधवाएं इतनी शिक्षित ही नहीं हैं कि उन्हें सरकार द्वारा उनके कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी हो।
जाधव ने कहा कि कई विधवाएं आश्रय गृहों में रह रही हैं, जहां समुचित सुविधाओं का अभाव है और कुछ आश्रय गृहों में तो क्षमता से अधिक विधवाएं रह रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड काल में इन विधवाओं के टीकाकरण की ओर किसी का ध्यान नहीं गया। उनके टीकाकरण के आंकड़े नहीं हैं। विधवा पेंशन को लेकर भी घोटाले की खबरें आती हैं।'
उन्होंने सरकार से मांग की कि वृन्दावन में रह रही इन विधवाओं की स्थिति में सुधार के लिए उपाय किए जाने चाहिए। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने दिल्ली में स्थायी रूप से, खास कर 1993 के बाद से रह रहे अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिल्ली सरकार की नौकरियों में इस कोटे के तहत लाभ न मिलने का मुद्दा उठाया।