BAGAHA : रविवार को वीटीआर के गोनोली वन क्षेत्र के अनुबंधित कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है. आज इस मामले को लेकर उन्होंने धरना प्रदर्शन किया. वनकर्मियों का आरोप है कि उनसे 24 घंटे काम लिया जा रहा है. जबकि आठ घंटे काम करने का ही प्रावधान है.
इस हड़ताल से बिहार का इकलौता टाइगर रिजर्व अब भगवान भरोसे चल रहा है. हड़ताल में गनौली रेंज के सभी दैनिक वेतन भोगी वनकर्मी शामिल है. मालूम हो कि वनकर्मियों के कमी का दंश झेल रहे इस परियोजना में अनुबंध पर बहाल वनकर्मियों की बदौलत वाल्मीकि व्याघ्र योजना की सुरक्षा को एक नया आयाम मिला था. जिससे वन और वन्य जीवों की सुरक्षा व्यवस्था चौकस हो गई थी.
इन वन कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से एक ओर वन्य जीवों की सुरक्षा खतरे में है. वही वीटीआर के पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ रहा है. पर्यटकों के ठहरने और तफरीह करने वाले स्थानों पर यही वनकर्मी तैनात हैं. उनके हड़ताल पर जाने से जंगल ड्यूटी, पेट्रोलिंग, एंटी पोचिंग कैंप, वायरलेस और वन कार्यालय बंद पड़े हैं. इससे विभाग को लाखों रुपए की क्षति होने का अनुमान है.
हड़ताल के सम्बन्ध में दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शंभू नाथ तिवारी ने कहा कि हमारी मुख्य मांगों में आठ घंटा ड्यूटी, रिक्त पदों का समायोजन, समान कार्य के लिए समान वेतन यानि 18000 रुपये प्रति माह भुगतान किया जाए. यदि इनकी मांगे नहीं मानी गई तो वीटीआर के बेतिया स्थित वन प्रमंडल कार्यालय में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा. वहीं वन विभाग की ओर से एक तुगलकी फरमान भी जारी किया गया है. जिसके सम्बन्ध में गोनौली के रेंजर सह प्रशिक्षु डीएफओ ने एक पत्र एक दिन का वेतन काटने का आदेश जारी किया है. साथ ही कर्मियों के नहीं लौटने पर उन्हें सेवा से मुक्त करने करने का आदेश जारी किया गया है.
बगहा से माधवेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट