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सोनू की लाश को वतन वापसी का इंतज़ार, घर के बेटे को आखिरीबार देखने के लिए परिवार का टूटने लगा है सब्र

सोनू की लाश को वतन वापसी का इंतज़ार, घर के बेटे को आखिरीबार देखने के लिए परिवार का टूटने लगा है सब्र

रसिया में कर रहा था डॉक्टरी की पढ़ाई, दस दिन पहले आई थी मौत की खबर

GAYA : एक तरफ जहां भारत और रूस के अच्छे संबंधों का डंका पीटा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ बिहार के एक लाल सोनू कुमार की लाश करीब दस दिनों से रूस में पड़ी है। सोनू रसिया में रहकर डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा था जहां से उसकी मौत की खबर आई। जिसके बाद अब परिवार के लोगों को सोनू की लाश घर आने का इंतजार है। एक परिवार को अपने बेटे को आखिरी बार घर से विदा करने के लिए नम आंखों से दरवाजे की तरफ देख रही है।

दो माह बाद होनेवाली थी अंतिम वर्ष की परीक्षा

सोनू गया जिले के खिज़रसराय  प्रखंड के लोदीपुर गांव निवासी अशोक  कुमार  का पुत्र था. जो रूस में मेडिकल कि पढ़ाई करने गया था, जिसका दो माह बाद फाइनल परिणाम आने वाला था. जिस संस्थान से सोनू पढ़ाई कर रहा था उस संस्थान का कहना है कि आठ मंजिले इमारत से गिरने के कारण सोनू की मौत हुई है। रसिया स्थित भारतीय दूतावास ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि सोनू के शव को भारत ले जाने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी की है और बीमा कंपनी इसे अंतरराष्ट्रीय सरकार का मामला बता रही है।

छत से गिरकर हुई थी मौत

28 वर्षीय सोनू रूस के स्ट्रेब्रोपोल में स्ट्रीट यूनिवर्सिटी का छात्र था. वह मेडिकल का फाइनल ईयर कर रहा था. 2016 से वह रूस में था. उसका सेशन 2016 से 22 था और 5 जुलाई 22 को उसे डिग्री लेकर घर को लौटना था. इसी बीच 26 मई को 11 बजे मोबाइल से कॉल आता है कि सोनू छत से गिर गया है. फिर उसकी मौत की खबर आधे घंटे बाद आ जाती है.

 बहरहाल जो भी हो एक माँ अपने कलेजे के टुकड़े की लाश के लिए तड़प रही है और देश की  जिम्मेदार सरकार के कानों में जूं तक नही रेंग रही। घटना कहीं भी हो सकती है परंतु लाश भी ना मिले तो सवाल खड़ा होता है। ऐसे में शायद ही अब कोई माँ अपने बच्चों को विदेश पढ़ने के लिए भेजेगी। वो भी ऐसे देश मे जिसके साथ अच्छे संबंधों का दम्भ भरा जाता हो और समय पड़ने पर नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए लोगों को खून के आंसू रोने पर मजबूर होना पड़े। 

फिलहाल मृतक छात्र के भाई चंदन कुमार ने राज्य सरकार से शव को घर लाने हेतु पहल करने कि मांग किया है ताकि उनके भाई का अंतिम दर्शन  परिजन एवं ग्रामीण कर सकें।

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