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‘जाना था गंगा पार चिराग नाव पर चढ़कर गए’, पटना में दो-दो पुल रहने के बाद भी उफनती गंगा पार करने को नाव का लेना पड़ा सहारा, जानिए क्यों

‘जाना था गंगा पार चिराग नाव पर चढ़कर गए’, पटना में दो-दो पुल रहने के बाद भी उफनती गंगा पार करने को नाव का लेना पड़ा सहारा, जानिए क्यों

पटना. जपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान शनिवार को नाव पर सवार होकर गंगा नदी पार किए. वे पटना में नाव पर सवार हुए और वैशाली के राघोपुर गए. उन्होंने राघोपुर में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री स्व. भोला राय के शोकाकुल परिजनों से मुलाकात की और सांत्वना दी. उदय नारायण राय उर्फ भोला राय का दो दिन पहले निधन हुआ था. उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को हुआ था. भोला राय का रामविलास पासवान से भी निकटस्थ संबंध था. रामविलास लम्बे अरसे तक हाजीपुर से चुनाव जीते और इस दौरान भोला राय के साथ उनके मधुर और स्नेहिल संबंध थे. इसी को लेकर चिराग पासवान ने भोला राय के परिजनों से मुलाकात की. 

दरअसल, चिराग का वहां नाव से पहुंचना बेहद चौंकाने वाला निर्णय रहा. पटना में गंगा नदी पर मौजूदा समय में दो पुल गांधी सेतु और जेपी सेतु है. राघोपुर आने जाने के लिए सामान्यतः लोग इन्हीं दोनों पुलों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उफनती गंगा में नाव के सहारे राघोपुर जाने का चिराग का निर्णय सबको अचंभित किए हुए है. खासकर उस स्थिति में जब पटना में गंगा नदी पर दो बड़े बड़े पुल हैं. उसके बाद भी खतरे के निशान को पार कर चुकी गंगा को चिराग ने नाव के सहारे पार करने का निर्णय लिया. 

वहीं सोशल मीडिया पर लोगों ने चिराग के नाव से गंगा नदी को पार करने के निर्णय पर नीतीश सरकार भी निशाना साधा. ट्रोलर्स ने इसे नीतीश राज में आज भी लोगों को नदी पार करने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ता है इससे जोड़कर पेश किया है. दरअसल, राघोपुर की जो बसावट है वह गंगा के पाट के साथ है. ऐसे में वहां पहुंचने के लिए नाव एक बेहतरीन जरिया है. लेकिन चिराग के वहां नाव से जाने को एक प्रकार से नीतीश सरकार को दिया जाने वाला संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है. सीएम नीतीश हर जगह सड़क सम्पर्क स्थापित करने की बात करते हैं लेकिन पटना के पार गंगा के दियारे के लाखों लोग आज भी आवागमन के लिए नाव पर बड़े स्तर पर निर्भर हैं. तो एक तरह से चिराग ने नाव के सहारे गंगा को पार कर दियारा के लोगों के दैनिक आवागमन को भी महसूस किया. 

राघोपुर में जिस भोला राय के शोकाकुल परिजनों से चिराग ने मुलाकात की वे बिहार में लालू-राबड़ी सरकार के दौरान मंत्री थे. राघोपुर विधानसभा की सीट से जीतते आ रहे भोला राय ने 1995 में अपनी सीट लालू यादव के लिए छोड़ दी थी. बाद में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव भी उसी सीट से जीते. शुक्रवार को उनके अंतिम संस्कार में तेजस्वी यादव भी शामिल हुए थे. वहीं अब चिराग ने शोकाकुल परिजनों से मुलाकात की. 


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