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आग लगी या लगाई गई ? नीतीश राज में 'सचिवालय' में कई बार लगी आग, इस बार ग्रामीण कार्य विभाग हुआ स्वाहा....

आग लगी या लगाई गई ? नीतीश राज में 'सचिवालय' में कई बार लगी आग, इस बार ग्रामीण कार्य विभाग हुआ स्वाहा....

पटनाः  जिस जगह से सरकार चलती है वहीं पर यानि सत्ता के गलियारे में ही आग लग गई। आग की लपटों में सचिवालय के एक प्लोर पर सब कुछ स्वाहा हो गया। बुधवार की सुबह-सुबह सचिवालय के विश्वेश्वरैया भवन के पांचवें तल्ले पर ऐसी आग लगी कि ग्रामीण कार्य विभाग में सबकुछ तबाह हो गया। आग बुझाने के लिए सरकार ने सारी शक्ति लगा दी। बड़ी मुश्किल से छह घंटे बाद आग पर काबू पाया जा सका. लेकिन इस बार की आग ने सरकारी व्यवस्था की पूरी पोल खोल दी। वैसे बिहार के सचिवालय में यह कोई पहली दफे आग नहीं लगी है। हर बार आग लगती है,सरकारी कागजात स्वाहा होता है, फिर सरकार के स्तर से जांच बिठाई जाती है। इसके बाद पूरे मामले पर पर्दा डाल दिया जाता है। पिछले एक दशक से यही होते आया है। 

इस बार ग्रामीण कार्य विभाग हुआ आग में स्वाहा

बुधवार को ग्रामीण कार्य विभाग में आग लगी। छह तल्ले वाले विश्वेश्वरैया भवन के पांचवे तल्ले पर आग लगी। सुबह करीब 7 बजे के आसपास आग लगने की बात सामने आ रही है। आग लगने की सूचना पर हड़कंप मच गया। प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और फिर शुरू हुआ आग बुझाने का काम। छह घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। अग्निशमन के डीजी शोभा अहोतकर खुद मोर्चा संभाले हुई थी। आग बुझाने को लेकर सरकार की जितनी क्षमता थी वो सारी लगा दी गई। एयरपोर्ट से भी फायर ब्रिगेड की गाड़ी मंगाई गई। इस तरह से ग्रामीण कार्य विभाग के दफ्तर में लगी आग को बुझाया गया। डीजी शोभा अहोतकर ने पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी। यह भी साफ कर दिया कि पुलिस भी पूरे तौर पर लापरवाह दिखी। डीजी ने साफ कहा कि यहां बाबा-आदम जमाने की वायरिंग है। शॉट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। 


2020 में घंटा घर के ग्रामीण विकास विभाग में लगी थी आग

अब दूसरे केस पर आईए.....20 अक्टूबर 2020 को घंटा घर जहां खुद सीएम नीतीश बैठते हैं, सचिवालय के उसी भवन में आग लग गई थी। तब ग्रामीण विकास विभाग का दफ्तर आग में स्वाहा हो गया था। ग्रामीण विकास विभाग में 20 अक्टूबर 2020 की रात में ही आग लगी थी। सुबह-सुबह फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां पहुंची और आग बुझाई गई। लेकिन आग बुझाते-बुझाते ग्रामीण विकास विभाग के कई कमरे जल गए थे। इसी के साथ कई महत्वपूर्ण कागजात जल गए.

2016 में विकास भवन के स्वास्थ्य विभाग में लगी थी आग...कागजात हो गये थे स्वाहा

27 फरवरी 2016 को विकास भवन में आग लगी थी। आग से स्वास्थ्य विभाग के कई कमरे पूरी तरह से तबाह हो गये थे। सरकारी कागजात जलकर खाक हो गये थे। तब भी बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पाया जा सका था। तब कहा गया था कि घोटाले को छिपाने और दोषियों को बचाने के लिए जानबूझ कर आग लगाई गई। खैर....आग की जांच के लिए विशेष कमेटी गठित की गई। जांच हुई और रिपोर्ट सरकार को मिली या नहीं, या फिर क्या कार्रवाई हुई किसी को जानकारी नहीं. कमेटि को न सिर्फ जांच कर रिपोर्ट देने और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो इसका भी उपाय बताने को कहा गया था। गृह आरक्षी विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक ने इसके लिए आदेश जारी किया था। अभियंता प्रमुख सह अपर आयुक्त सह विशेष सचिव, भवन निर्माण विभाग की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी।  समिति में पुलिस उप महानिरीक्षक गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवाएं को गृह विभाग का सदस्य मनोनीत किया गया था।

2009 में भी लगी थी आग 

आपको बता दें कि इससे पहले बिहार सचिवालय में दिसंबर 2009 और सचिवालय के ही स्वास्थ्य विभाग में फरवरी 2016 को और विकास भवन में सितंबर 2016 को आग लग चुकी है।  इस आग में ज़रूरी काग़ज़ात से भरी फाइलें जल कर राख हो गईं थी। सचिवालय में आग लगने पर हर बार कहा जाता है कि शॉट सर्किट से आग लगी। फिर सरकार के स्तर से जांच बिठाई जाती है। थोड़े दिनों बाद सबकुछ सामान्य हो जाता है और सरकार उस घटना को भूला देती है। इस बार ग्रामीण कार्य विभाग यानि उस विभाग में आग लगी जिस पर गांव की सड़कों को बनाने का जिम्मा है। अब आग शॉट सर्किट से लगी या कोई दूसरी वजह है यह तो जांच के बाद पता चलेगा. लेकिन चर्चा तो यही है कि हर बार आग लगती नहीं बल्कि लगाई जाती है ताकि सबकुछ दफन हो जाये। 


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