N4N Desk: 3 सितम्बर को देशभर में कृष्ण का जन्मदिन यानि जन्माष्टमी मनाई जाएगी। जन्माष्टमी की रौनक केवल घर तक सिमित नहीं है. रौनक तो बाज़ार में भी है. लोग कृष्ण के श्रृंगार से लेकर अपने नन्द गोपाल की मन पसंद चीज़े ले रहे हैं. नन्द गोपाला को खुश करने की कोशिश में सभी लगे है. कृष्ण को पूजते समय इन चीज़ो का इस्तेमाल करें।
श्रीकृष्ण को सदैव पीतांबर वस्त्र पहनाएं और माथे पर चंदन का तिलक लगाए. उनके भक्त उनकी पूजा में भी सबसे पहले उन्हें चंदन समर्पित करें.
भगवान श्रीकृष्ण अपने मुकुट में मोरपंख धारण करते हैं. मोर पंख सम्मोहन और भव्यता का प्रतीक है. ये दुखों को दूर कर जीवन में खुशहाली का सूचक है. कान्हा के मुकुट की सजावट मोर पंख के बिना अधूरी है.
भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी अत्यंत प्रिय है. श्रीकृष्ण की बांसुरी की मीठी धुन सुनकर सारी गोपियां, ग्वाल-बाल, गायें, जीव-जंतु, पेड़-लता थम से जाते थे. बांसुरी सरलता और मीठास का प्रतीक है. इसलिए जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण की मूर्ति को सजाते समय बांसुरी रखना न भूलें. बाजार में सुसज्जित बांसुरी आसानी से मिल जाती हैं.
भगवान श्रीकृष्ण अपने गले में सदैव वैजयंती की माला धारण किए रहते हैं. पूजा के समय श्रीकृष्ण को वैजयंती की माला पहनाना न भूलें. वैजयंती माला के सम्बन्ध में प्राचीन ग्रन्थों काफी महिमा का बखान किया गया है. यह माला धरा ने श्रीकृष्ण को भेंट में दी थी, अतः श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय थी.
कृष्ण को माखन मिश्री बहुत ही प्रिय है. मिश्री मिठास का प्रतीक है. जीवन में मिठास का होना बेहद जरूरी है. श्रीकृष्ण ने सदैव प्रेम करने की सीख दी. प्रेम हर उस चीज से जो हमारे इर्द-गिर्द मौजूद है. इसलिए जन्माष्टमी के दिन उनके भक्त माखन मिश्री का भोग जरूर लगाते हैं.