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क्या है नेशनल मेडिकल कमीशन, डॉक्टर क्यों हैं इस बिल के खिलाफ

क्या है नेशनल मेडिकल कमीशन, डॉक्टर क्यों हैं इस बिल के खिलाफ

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल को मोदी सरकार राज्यसभा में भी पास कराने में कामयाब रही। वहीं इस बिल के खिलाफ देशभर में डॉक्टर सड़कों पर उतर आए हैं और हड़ताल कर रहे हैं। 


 भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ज़िम्मेदारी थी। अब अगर इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो नेशनल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और इसकी जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) ले लेगा।
 
 राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एक 25 सदस्यीय संगठन होगा जिसमें एक अध्यक्ष, एक सचिव, आठ पदेन सदस्य और 10 अंशकालिक सदस्य शामिल होंगे। यह आयोग स्नातक और परास्नातक चिकित्सा शिक्षा को देखेगा। इसके अलावा यह आयोग चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था भी देखेगा।
 
 राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाएगी। जबकि, सदस्यों को एक सर्च कमेटी द्वारा नियु्क्त किया जाएगा। जिसकी अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे। पहले यह प्रक्रिया एक चुनाव द्वारा पूरी की जाती थी।

मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल का गठन

केंद्र सरकार इस बिल के अंतर्गत एक काउंसिल का गठन करेगी जहां राज्य मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में अपनी समस्याएं और सुझाव दर्ज करा सकेंगे। इसके बाद यह काउंसिल राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को मेडिकल शिक्षा से संबंधित सुझाव देगी।
 
 मेडिकल संस्थानों की फीस

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग देश भर के सभी निजी मेडिकल संस्थानों में 40 फीसदी सीटों की फीस तय करेगा। जबकि शेष बचे हुए 60 फीसदी सीटों की फीस निजी संस्थान खुद तय करेंगे।
 
 ब्रिज कोर्स

इस बिल के धारा 49 के अंतर्गत एक ब्रिज कोर्स करते आयुर्वेद, होम्योपेथी के डॉक्टर भी एलोपेथी इलाज करने के योग्य हो जाएंगे। डॉक्टर इसका विरोध कर रहे हैं।
 
 एमसीआई के कर्मचारियों की सेवाएं होंगी समाप्त

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की धारा 58 के अनुसार इस कानून के प्रभावी होते ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। इसके एवज में उन्हें तीन महीने का वेतन और भत्ते मिलेंगे।
 
 मेडिकल की होगी एक परीक्षा

नए बिल के लागू होते ही देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए केवल एक परीक्षा ही ली जाएगी। इस परीक्षा का नामनेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट होगा।
 
 मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा

इस बिल में मेडिकल रिसर्च को बढ़ाने का प्रावधान है। स्नातक और परास्नातक स्तर पर डॉक्टरों को दक्ष बनाने के लिए मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा।

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