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PM मोदी ने की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की घोषणा, जानिए क्या होता है CDS...

PM मोदी ने की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की घोषणा, जानिए क्या होता है CDS...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश की रक्षा और सेनाओं के लिए बड़ा ऐलान किया। गुरुवार को लालकिले पर छठी बार तिरंगा फहराने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का नया पद बनेगा। इससे थलसेना, वायुसेना और नौसेना सभी को एक जैसा प्रभावी नेतृत्व मिलेगा। सैन्य सेवाओं में रिफॉर्म्स का हमारा सपना पूरा होगा। 1999 में करगिल जंग के बाद पहली बार एक समिति ने सीडीएस की सिफारिश की थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समय रहते रिफॉर्म्स की बहुत आवश्यकता होती है। सैन्य संसाधनों के रिफॉर्म्स पर काफी चर्चा हुई है। अनेक रिपोर्ट्स आई हैं। सभी रिपोर्ट्स एक ही समस्या को उजागर करती रही हैं। हमारी सेनाओं का जल-थल-नभ, तीनोंं में ही कॉर्डिनेशन है। किसी भी भारतीय को इसमें गर्व है। लेकिन आज जैसे दुनिया बदल रही है। आज जिस तरह तकनीक व्यवस्थाएं बन रही हैं। भारत को इसमें नहीं रुकना चाहिए। हमारी सेनाओं को एक साथ आगे बढ़ना होगा। जल-थल-नभ में एक आगे चले, दूसरा दो कदम पीछे हो, ऐसा नहीं चल सकता। सबको साथ चलना होगा। आज मैं एक महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा करना चाहता हूं। आज हमने निर्णय किया है कि हम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की व्यवस्था करेंगे। इस पद के गठन के बाद तीनों सेनाओं को एक प्रभावी नेतृत्व मिलेगा। सामरिक दृष्टि से भारत के लिए सीडीएस अहम होगा।

जानिए क्या है चीफ ऑफ डिफेंस (CDS) 

चीफ ऑफ डिफेंस एक सैन्य पद होगा जो तीनों सेनाओं (जल, थल और वायु) के प्रमुखों का चीफ होगा। इस पद को लेकर पहली बार चर्चा कारगिल युद्ध के बाद हुआ। इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सीडीएस सैन्य बलों का एकीकरण करेगा और 17 अलग-अलग कमान ढांचों को तीन कमान का स्वरूप देगा—उत्तरी कमान चीन के लिए, पश्चिमी कमान पाकिस्तान के लिए और दक्षिण कमान समुद्री क्षेत्र के लिए। इससे न केवल संसाधनों की बचत होगी, सैन्य प्रभावशीलता भी बढ़ेगी।

कारगिल युद्ध के बाद उठी थी पहली बार मांग

1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद देश की सुरक्षा प्रणाली की खामियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गयी थी जिसने रक्षा मंत्री के सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त करने की मांग की थी। समिति ने जो सबसे बड़ी कमियां उजागर की थीं, उनमें जंग में शामिल तमाम सशस्त्र बलों और खासकर सेना और वायु सेना के बीच तालमेल की कमी भी थी।

इसके बाद समीक्षा के लिए लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक समिति बनी थी। इसकी रिपोर्ट में तीनों सेनाओं के संयुक्त मुख्यालय और सीडीएस पद के लिए सिफारिश की गई, लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में इस पर फैसला करीब 20 साल तक अटका रहा। पहली मोदी सरकार में दो साल रक्षामंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने मजबूती से सीडीएस पद का समर्थन किया था।

2001 में ही नरेश चंद्रा समिति ने भी सरकार और सशस्त्र बलों के बीच एक सलाहकार की जरूरत बताई थी। 2012 में नरेश चंद्र कार्यबल ने चीफ ऑफ डिफेंस कमेटी के स्थायी प्रमुख के पद के सृजन की सिफारिश की थी। चीफ ऑफ डिफेंस कमेटी में सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख शामिल हैं और मौजूदा नियमों के अनुरूप उनमें से वरिष्ठतम उसके प्रमुख के तौर पर काम करते हैं। उसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेकटकर समिति ने भी 2016 में फिर इसे दोहराया था, लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया।

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