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CM नीतीश के रक्षा कवच सुशील मोदी का कोटा कांड पर चुप्पी का राज क्या है? जबकि विपक्षी दलों के वार से लाचार हो रहे नीतीश कुमार !

CM नीतीश के रक्षा कवच सुशील मोदी का कोटा कांड पर चुप्पी का राज क्या है? जबकि विपक्षी दलों के वार से लाचार हो रहे नीतीश कुमार !

PATNA: बिहार में कोटा पर कोहराम मचा है।पूरे प्रकरण में नीतीश सरकार बैकफूट पर है।सरकार के अधिकारियों ने हीं सीएम नीतीश की फजीहत करा दी है। विपक्षी दलों के वार से सरकार घायल है। एक सप्ताह से बिहार की राजनीति कोटा के इर्द-गिर्द घुम रही है।पक्ष से लेकर विपक्ष के नेताओं ने बयानों के तीर चलाने का सिलसिला लगातार जारी रखा है।लेकिन इन सबों के बिहार की राजनीति के एक धुरंधर की चुप्पी लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर रहे हैं।आखिर बात-बात पर सीएम नीतीश के रक्षा-कवच बनने को बेताब रहने वाले साहब आखिर मौन क्यों धारण किए हुए हैं?

जबकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कोटा प्रकरण को लेकर नीतीश कुमार को लगातार निशाने पर ले रहे हैं।वहीं दूसरी तरफ निशाने को झेल रही नीतीश सरकार अपना मरहम पट्टी तो कर रही है लेकिन प्रतिघात नहीं कर पा रही।साथ हीं हर समय सीएम नीतीश के लिए ढ़ाल लेकर खड़े रहने वाले बिहार के डिप्टी सीएम ताल ठोकने की बात छोड़िए मैदान में भी कहीं नजर नहीं आ रहे।

कोटा प्रकरण पर चुप्पी का राज आखिर है क्या?

बिहार बीजेपी के विधायक अनिल सिंह के द्वारा कोटा से बेटा लाने पर खड़ा हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।विपक्षी नेताओं के द्वारा नीतीश कुमार को लगातार निशाने पर लिया जा रहा है।खासतौर पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो कोटा प्रकरण पर हमला का नेतृत्व हीं खुद संभाल रखा है। वहीं दूसरी तरफ कभी नीतीश कुमार के खासमखास रह चुके प्रशांत किशोर ने तो सीएम नीतीश की यूएसपी पर सवाल उठाते हुए मर्यादा का पाठ हीं पढ़ा दिया।इन सबों के बीच जो हैरान करने वाली बात यह है कि डिप्टी सीएम कोटा के मुद्दे पर बिल्कुल मौन क्यों हैं।जरा याद करिए कि जब जेडीयू में रहते हुए पीके ने नीतीश कुमार पर सीएए को लेकर सवाल खड़ा किया था तो सबसे पहले जेडीयू नेताओं ने नहीं बल्कि सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के पक्ष से मोर्चा संभाला था।लेकिन पता नहीं कोटा के मुद्दे पर उन्हें सांप क्यों सुंघ गया है?

बहरहाल लोग सवाल पूछ रहे हैं कि हमेशा सीएम नीतीश के पक्ष में मैदान संभालने वाले डिप्टी सीएम सुशील मोदी कोटा के मुद्दे पर मैदान से गायब क्यों हैं? जानकारों की माने तो कोटा पर पेंच बिहार से बाहर का फंसा हुआ है।जरा याद कीजिए कि जब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तीन सौ बसों को राजस्थान के कोटा भेजकर अपने यहां के बच्चों को मंगवाने का फैसला किया तो सबसे पहले सीएम नीतीश ने विरोध जताते हुए कहा कि यह लॉकडाउन का उलंघन है।उन्होंने इतना तक कह दिया कि इस मामले में पीएम मोदी को संज्ञान लेना चाहिए।यूपी की देखा-देखी बीजेपी शासित मध्यप्रदेश सरकार ने भी कोटा में फंसे अपने बच्चों को वापस बुलाने का फैसला लिया।

इसी बीच बीजेपी विधायक अनिल सिंह के द्वारा पास बनवाकर अपनी बेटी को कोटा से लाने का प्रकरण सामने आया।फिर तो अपनी हीं गलतियों में फंसी सरकार के लिए यह प्रकरण गले का फांस साबित हो गई।एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश योगी के आदेश पर पलक झपकते हीं विरोध में उतर आए तो दूसरी तरफ उनके हीं अधिकारियों के द्वारा कोटा से बेटा लाने के लिए कई लोगों को पास जारी कर दिया गया था।

इस बीच विपक्षी नेताओं को भी सरकार का हमला करने का मौका मिल गया।लेकिन छोटे मोदी के लिए यह प्रकरण न निगलते बन रहा था न उगलते .लिहाजा करते तो क्या करते..चुप रहना हीं मुनासिब समझा।अगर  सीएम नीतीश की हां में हां मिलाते तो सीएम योगी और शिवराज से जाते .साथ हीं केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी का खतरा भी खड़ा हो सकता है.वहीं अगर योगी के फैसले के पक्ष में उतरते तो अपने खासम-खास सीएम नीतीश की नाराजगी बैठे-बिठाए मोल ले लेते।इसलिए उन्होंने बीच का रास्ता निकाला ....न तीन में न तेरह में और चुप रहना हीं उचित समझा।इसलिए चौबीस घंटे में कई मुद्दों पर कई ट्वीट करने वाले सुशील मोदी पिछले एक हफ्ते से दूसरे मुद्दे पर लगातार चें-चें तो कर रहे हैं पर कोटा कांड पर मौन धारण किए हुए हैं.

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