Patna: साल 1992, दिल्ली स्थित बिहार भवन में उस दिन भवन के अंदर से गाली गलौज की आवाजें आ रही थी. बिहार के तत्कालीन सीएम लालू यादव खुद वहां मौजूद थे. बाहर पसरे सन्नाटे के बीच कोई भी उस आवाज को सुन सकता है जब लालू यादव कह रहे थे इ ललनवा के यहां से बाहर करो...अरे गार्ड कहां है...ले जाओ इस ललनवा को यहां से... और गार्ड अपने साहब की फरमान को मानता है और ललन सिंह को बिहार भवन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है.
तब नीतीश नहीं लालू यादव थे बिहार के मुख्यमंत्री...
कहानी उस समय की है जब नीतीश मंत्री नहीं रह गए थे, क्योंकि वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी और कृषि मंत्रालय में देवी लाल के सहायक मंत्री के तौर पर अपनी कुर्सी खो चुके थे. पता चला बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव बिहार भवन में ठहरे हैं. नीतीश कुमार बिहार नेताओं के एक गुट के साथ वह लालू यादव से भेंट करने चले गए और कुछ काम की सूची भी लेकर गए और चाहते थे कि लालू यादव उनकी बात मान लें. वहां शिवानंद तिवारी, बिशन पटेल और ललन सिंह मौजूद थे.वहीं सरयू राय भी दूसरे कमरे में अपनी समस्याओं को लेकर नीतीश कुमार की मीटिंग का इंतजार कर रहे थे ताकि उनके निकलने के बाद वो लालू यादव से मुलाकात के लिए जा सकें.
और अंदर से आवाज आई निकल बाहर साला...
मौजूद लोगों में से किसी को याद नहीं कि सीएम के कमरे में दाखिल होने के कुछ मिनट के अंदर ऐसा क्या हुआ कि बैठक अचानक गाली गलौज में बदल गई और मुक्केबाजी होने लगी. लालू की चीख चिल्लाहट सबसे ऊपर थी वो ललन सिंह पर उबले पड़े थे और कह रहे थे निकल बाहर...बाहर निकल साला. हल्ला गुल्ला बिहार भवन के ग्राउंड फ्लोर पर गूंज रहा था. गाली तो वैसे निकल रही थी जैसे गोली छूटती हो. पहले मुंह काला करने की बात की जाती है फिर बेटी लगाकर गाली दी जा रही थी. सरयू राय जो इंतजार कर रहे थे वो देखने के लिए बाहर निकले की माजरा क्या है.
अब साथ चल पाना मुश्किल है...
सरयू राय ने देखा कि वीवीआईपी दरवाजे पर धक्का मुक्की हो रही है. लालू यादव अपने सुरक्षाकर्मियों को आवाज लगा रहे थे और कह रहे थे पकड़ के बाहर फेंक दो, ले जाओ घसीट के. मुख्यमंत्री लालू यादव शायद ललन सिंह को बाहर ले जाने के लिए चीख रहे थे. ललन सिंह को अपनी जुबान पर नियत्रंण नहीं रहता है बहुत जल्द कड़वाहट उगलने लगती है और वह बहुत जल्द बेइज्जत करने पर उतारू हो जाती है. लेकिन इससे पहले की ललन सिंह को उठाकर बाहर फेंका जाता नीतीश कुमार अपने आदमियों को लेकर वहां से हट जाते हैं और कहते हैं अब साथ चल पाना मुश्किल है और बिहार भवन से बाहर चले गए. साभार: बंधू बिहारी