News4nation desk- इस साल 2 सितंबर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र व्याप्त भाद्र पद अष्टमी को मध्य रात्रि में हुआ था। कृष्णजी का जन्मदिन हर साल बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. कृष्णजी का नाम आते ही राधा का नाम भी जुड़ जाता है. आज दुनियाभर के लोग उनके प्रेम की मिशालें देते हैं क्योंकि वह भले ही एक नहीं हो सकें पर उनका प्यार हमेशा से अटूट रहा. राधा कृष्णजी की बचपन की प्यार थीं और शायद यही वजह है जो उनका प्यार हमेशा से अमर रहा.
श्री कृष्ण को दुनिया में सबसे ज्यादा लगाव राधा और उनके बांसुरी से था. राधा को कृष्ण के बांसुरी के धून से बेहद लगाव था और इसीलिए वह उनके तरफ खींची चली आईं. इसी वजह से श्री कृष्ण अपने बांसुरी को कभी भी अपने आंखों से ओझल होने नहीं देते थें. बांसुरी राधा-कृष्ण के प्यार की प्रतिक थी. आपने राधा कृष्ण के कई किस्से सुने होंगे पर आज जो आपको कहानी बताने जा रहे हैं उससे शायद आप बिलकुल भी वाकिफ नहीं होंगे....
कृष्ण से राधा तब अलग हुई थीं जब कृष्ण के मामा कंस ने बलराम और कृष्ण को आमंत्रित किया. इस खबर से वृंदावन के लोगों को काफी दुख हुआ. मथुरा जाने से पहले कृष्णजी ने राधा से मुलाकात किये और राधा को अलविदा कह कृष्ण उनसे दूर चले गए. कृष्ण ने राधा से यह वादा किया था कि वो वापस आएंगे. लेकिन कृष्ण वापस कभी नहीं आए. इसके बाद कृष्ण की शादी रुक्मिनी से हो गयी थी. आखिरी मुलाकात में कृष्ण राधा से यह भी कहे थें कि भले ही वो उनसे दूर जा रहे हैं, लेकिन मन में कृष्ण हमेशा उनके साथ रहेंगे।
कृष्ण जब मथुरा चले गए तब राधा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी थी. आखिरी बार जब राधा कृष्णजी से मिलने द्वारका पहुंची तब वह कृष्ण और रुक्मिनी के विवाह के बारे सुनी। लेकिन इससे राधा बिलकुल भी दुख नहीं हुईं।
कृष्ण से मिलने के बाद राधा पहले की तरह आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही थीं इसलिए राधा वापस उनसे अलग होने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे एक ऐसा समय आया जब राधा पुई तरह से अकेली पड़ गईं और तब उनके आखिरी समय में श्री कृष्ण उनके सामने आए. राधा ने आखिरी बार कृष्ण से बांसुरी बजाने को कहा था। इसके बाद कृष्ण ने अपनी बांसुरी से सुरीली धुन में बजाने लगे.
श्री कृष्ण लगातार बांसुरी बजाई और उस बांसुरी की धुन सुनते-सुनते राधा हमेशा के लिए उन्हें अलविदा कह गईं. श्री कृष्ण उनकी मृत्यु को सह नहीं पाएं और वे अपने प्रेम के प्रतिक बांसुरी को तोड़कर फेक दियें। जब्कि वह जानते थें कि उनका प्रेम हमेशा से अमर है.