पटना. केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का अचानक से बिहार आना और सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करना सियासी सरगर्मी को बढ़ाने वाला कदम रहा है। भले भाजपा नेताओं ने इसे एक सामान्य और शिष्टाचार मुलाकात कहा हो, लेकिन इसके पीछे की सियासत कुछ और ही बताई जाती है। दरअसल बिहार में सत्ताधारी एनडीए के घटक दल जदयू और भाजपा के बीच अग्निपथ योजना को लेकर जारी जुबानी जंग के बीच फिर से भाजपा ने दोनों दलों के रिश्तों को मधुर बनाने की पहल की है और एक बार फिर से खाई को पाटने का जिम्मा धर्मेन्द्र प्रधान के कंधों पर सौंपा।
बिहार में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम पर गौर करें तो अग्निपथ योजना के बाद विपक्ष से ज्यादा सत्ताधारी दलों के नेता ही आपस में भिड़े हुए नजर आए। खासकर बिहार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और जदयू के वरीय नेताओं के बीच जुबानी जंग काफी तीखी हो गई। ऐसे में दोनों के रिश्तों में आई तल्खी को पाटने की पहल एक बार फिर से भाजपा ने की।
हाल के कुछ महीनों के दौरान यह दूसरा मौका है, जब धर्मेन्द्र प्रधान अचानक से बिहार आए और सीएम नीतीश से मिले। कहा जा रहा है कि इसका बड़ा कारण स्थानीय नेताओं के बीच रिश्तों में आई तल्खी को पाटने की पहल है। चुकी सीएम नीतीश और प्रधान के बीच पुराने रिश्ते हैं। ऐसे में भाजपा अपने स्तर से प्रधान को बड़ा जिम्मा सौंपा हैष प्रधान इसके पहले भी बिहार में भाजपा के संगठन को सशक्त करने के लिए लम्बे समय तक काम कर चुके है। इसलिए वे पहले से ही नीतीश कुमार अन्य जदयू नेताओं से निकटस्थ सम्बन्ध रखते हैं।
प्रधान ने पिछली बार भी किये नीतीश से मिलकर नेताओं की जुबानी जंग को पाटने में बड़ी सफलता पाई थी। सूत्रों का कहना है कि इस बार भी उनका दौरा बेहद गुपचुप रहा और खासकर राष्ट्रपति चुनाव के नाम पर सीएम नीतीश से मिलकर उन्होंने शीर्ष नेतृत्व का संदेशा पहुंचा दिया। कह जा रहा है कि प्रधान ने बाद में बिहार भाजपा के नेताओं से भी मुलाकात की और उन्हें जदयू के साथ रिश्तों को मधुर बनाए रखने की सीख दी।