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पूर्वी चंपारण का जिप अध्यक्ष कौन होगा? दो धुरंधऱों की लड़ाई में बाजी कहीं तीसरा न मार ले...मुस्लिम कैंडिडेट को जीताने के लिए एक MLC ने झोंकी ताकत

पूर्वी चंपारण का जिप अध्यक्ष कौन होगा? दो धुरंधऱों की लड़ाई में बाजी कहीं तीसरा न मार ले...मुस्लिम कैंडिडेट को जीताने के लिए एक MLC  ने झोंकी ताकत

PATNA:  बिहार में पंचायत चुनाव खत्म हो गये हैं। अब प्रमुख व जिला परिषद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा को लेकर शह-मात का खेल शुरू हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने अध्यक्ष-उपाध्यक्ष-प्रमुख पद पर चुनाव को लेकर तारीख का ऐलान कर दिया है। ऐलान के साथ ही सरगर्मी और भी बढ़ गई है। पूर्वी चंपारण में जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर जोर-आजमाइश शुरू है। पक्ष और विपक्ष की तरफ से धन और ताकत दोनों का इस्तेमाल शुरू है। हालांकि, जिप अध्यक्ष पद को लेकर इस बार की लड़ाई आसान नहीं है। जानकार बताते हैं कि दो ताकतवर लोगों की लड़ाई में बाजी कोई तीसरा भी मार सकता है जो मुमकिन दिख रहा है।

सबसे अधिक वोट से चुनाव जीती प्रियंका जायसवाल एक बार फिर से अध्यक्ष की मजबूत दावेदार

  पूर्वी चंपारण जिला परिषद अध्यक्ष पद को लेकर एनडीए और महागठबंधन नेताओं के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है। एनडीए में शामिल जेडीयू के अल्पसंख्यक नेता तीसरी धूरी बनाने की कोशिश में भीतर ही भीतर जुटे हैं। दरअसल पूर्वी चंपारण में जिला परिषद की 57 सीटें है। वर्तमान में जिप अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा के ढाका से विधायक पवन जायसवाल की पत्नी प्रियंका जायसवाल के पास है। इस बार भी प्रियंका जायसवाल सबसे अधिक करीब 13 हजार मतों से जिला परिषद का चुनाव जीतकर आई हैं। प्रियंका जायसवाल एक बार फिर जिप अध्यक्ष पद की मजबूत दावेदार हैं। इनकी तरफ से लगातार जिला पार्षदों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है। प्रियंका जायसवाल वैश्य समाज से आती हैं। इस बार के चुनाव में जिला परिषद के 12 कैंडिडेट जीत कर आये हैं। 

कहीं मुस्लिम-यादव की जोडी मार न ले बाजी...  

इस बार के चुनाव में सबसे अहम बात यह कि 15 जिला पार्षद मुस्लिम समाज से चुनकर आये हैं। इसके अलावे यादवों की संख्या 5 है। इस तरह से एमवाई मिलाकर यह संख्या 20 पर पहुंच रहा है। थोड़ी और मिहनत से वो जादुई आँकड़ा आसानी से पार पाया जा सकता है। बताया जाता है कि अँदर ही अंदर यह बात चल रही है कि अध्यक्ष पद के लिए मुस्लिम कैंडिडेट होगा. वहीं उपाध्यक्ष पद के लिए यादव कैंडिडेट। यानी एमवाई व अन्य के सहयोग से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा की रणनीति है। बताया जाता है कि जेडीयू के एक अल्पसंख्यक समाज से आने वाले एक विधान पार्षद ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सूत्र बताते हैं कि जेडीयू के विधान पार्षद ने गोपनीय तरीके से अपने लोगों को बता दिया है कि इस बार अध्यक्ष की कुर्सी मुस्लिम समाज को हथिया लेना है। उम्मीदवार कौन होगा इसे भी गोपनीय रखा गया है। अंतिम समय में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कैंडिडेट का नाम सार्वजनिक होगा। इसी रणनीति पर ये लोग काम कर रहे।  

ममता राय ने भी झोंकी ताकत

वहीं, पिछली बार हार का सामना करने वाली ममता राय एक बार फिर से जिला परिषद का चुनाव जीती हैं। वे भी अध्यक्ष पद की मजबूत उम्मीदवार हैं। इनकी तरफ से भी लगातार जिला पार्षदों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है। पिछली दफे ममता राय अध्यक्ष पद का चुनाव हार गई थीं। प्रियंका जायसवाल ने इन्हें हराकर अध्यक्ष की कुर्सी हथिया ली थी। लेकिन इस बार किसी भी कैंडिडेट के लिए अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होना आसान नहीं है। क्यों कि मुस्लिम समाज से 15 लोग इस बार जिला परिषद का चुनाव जीत कर आये हैं । अगर ममता राय मुस्लिम-यादवों जिला पार्षदों को पाले में कर लेते हैं और एमवाई से कोई कैंडिडेट नहीं होगा तब इनकी राह आसान हो सकती है। 

बता दें, पूर्वी चंपारण जिला परिषद में 57 सदस्य.हैं. इस बार सबसे अधिक मुस्लिम 15 जीत कर आये हैं। वहीं यादव 4, अनु. जाति-7,वैश्य-12, कुर्मी-2, कुशवाहा-2,सहनी-2,भूमिहार-3,राजपूत-3,ब्राह्मण-3 और कायस्थ-1 जीत कर आये हैं। अभी की जो स्थिति है उसमें अगर यादव-मुस्लिम का तीसरा मोर्चा काम कर गया तो 27 वोट लाकर अध्यक्ष का चुनाव जीत सकता है।     

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