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पटना DTO ऑफिस फर्जीवाड़ा की जांच से क्यों बच रहे हैं सुशासन के अधिकारी ?

पटना DTO ऑफिस फर्जीवाड़ा की जांच से क्यों बच रहे हैं सुशासन के अधिकारी ?

PATNA : नीतीश कुमार के सुशासन की सरकार में खुलेआम फर्जीवाड़ा हो रहा, लेकिन सरकारी अधिकारी कार्रवाई करने के बजाए मामले को दबाने मे जुटे हैं। मामला सरकार के नाक के नीचे पटना DTO कार्यालय की है, जहां अधिकारियों की मिलीभगत से हुए बड़े फर्जीवाड़े को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। न्यूज4नेशन की खबर पर विभागीय मंत्री से लेकर सचिव तक ने संज्ञान लिया था। लेकिन कई महीना बीत जाने के बाद भी जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। फर्जीवाड़ा करने वाले सरकारी सेवकों की ताकत के आगे विभाग जांच को आगे बढ़ाने से हिचकिचा रहा है। तभी तो जानकारी के बाद भी जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के बजाए चुप्पी साध रखी गई है। वहीं बिहार के परिवहन मंत्री संतोष निराला भी बेवश नजर आ रहे हैं। जब मंत्री संतोष निराला से कार्रवाई के संबंध मे पूछा गया तो उन्होने कहा कि उनके स्तर से जांच के बाद कार्रवाई का आदेश दिया गया था। लेकिन अबतक कार्रवाई क्यो नहीं हुई के सवाल पर चुप्पी साध ली।

पटना डीटीओ ऑफिस मे हुआ है फर्जीवाड़ा 

न्यूज4नेशन ने कुछ महीने पहले पटना डीटीओ कार्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े की पोल खोली थी। हमने पटना के डीटीओ कार्यालय से BR01-DJ और BR01-DR सीरीज़ में हजारो RC बिना अधिकारी की अनुमति के जारी करने का खुलासा किया था। फर्जीवाड़ा का यह खेल पिछले कई सालों से चला आ रहा है और लगातार जारी है। न्यूज4नेशन के हाथ जो कागजात लगे थे उसमें DJ सीरीज के 8390,8381,8385,8387,8388,8371,8379,8375,8389,8378,8373,8377 सहित कई नंबर बिना अनुमति के ही जारी किए गए थे। जानकारों का कहना है कि DJ सीरीज में लगभग 9000 नंबर के कागजात पर एमवीआई और डीटीओ ने हस्ताक्षर नहीं किए। यानी बिना आदेश के ही परिवहन कर्मियों की मिलीभगत से गाड़ियों का निबंधन पत्र जारी कर दिए गए।

क्या है नियम

वाहन एजेंसी बेंचे गए वाहन का पूरा कागजात डीटीओ कार्यालय मे जमा करता है। इसके बाद डीटीओ के आदेश से एमवीआई कागजात का सत्यापन करते हैं। सत्यापन सर्टिफिकेट जारी होने के बाद डीटीओ उक्त गाड़ी का निबंधन पत्र (RC) जारी करने का आदेश देते हैं। तब जाकर किसी गाड़ी का निबंधन होता है।

कागजात पर साईन नहीं करने के पीछे का खेल

निबंधन पत्र के कागजात पर अधिकारी के साईन न करने के पीछे बड़ा खेल होता है। दरअसल रजिस्ट्रेशन के नाम पर परिवहन कार्यालय में बड़ा गोरखधंधा होता है। इसमें कार्यालय के कर्मी और दलाल की मिलीभगत से बड़ी राशि की उगाही होती है। इस काम में स्थानीय DTO का संरक्षण होता है। अधिकारी अपने को बचाने के लिए कागजात पर साईन नहीं करते। अधिकारी सोचते हैं कि अगर कभी जांच हुई भी तो अपने मातहत कर्मी के सर ठीकरा फोड़कर बच निकलेंगे।

क्या कहते हैं परिवहन मंत्री

न्यूज4नेशन के खुलासे के बाद मंत्री ने संज्ञान लिया था। विभागीय मंत्री नें फर्जीवाड़े की पूरी कागजात ली थी और तत्काल जांच के बाद दोषी अधिकारियों पर कारवाई का आदेश दिया था। लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। कार्रवाई नहीं होनें के सवाल पर मंत्री ने कहा की उनके स्तर के जांच के आदेश दिए गए। लेकिन कार्रवाई क्या हुई उस सवाल पर मंत्री जी चुप्पी साध लेते हैं।

पटना से विवेकानंद की रिपोर्ट

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