मुरादाबाद दंगों की जांच के लिए बनी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट 40 साल बीत जाने पर भी क्यों नही हुई थी सार्वजनिक? किसे ठहराया गया दोषी? कौन था साजिशकर्ता? योगी के रिपोर्ट सार्वजनिक होते हीं हुआ खुलासा

मुरादाबाद दंगों की जांच के लिए बनी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट 40 साल बीत जाने पर भी क्यों नही हुई थी सार्वजनिक? किसे ठहराया गया दोषी? कौन  था साजिशकर्ता? योगी के रिपोर्ट सार्वजनिक होते हीं हुआ खुलासा

मुरादाबाद दंगा-  स्वतंत्रता दिवस के ठीक दो दिन पहले 13 अगस्त 1980 का दिन और जगह उत्तरप्रदेश का मुरादाबाद. देश की प्रधानमंत्री थीं आयरनलेडी इंदिरा गांधी और प्रदेश के मुख्यमंत्री थे विश्वनाथ प्रताप सिंह. ईद का पर्व था. नमाज अता करने के लिए 50 हजार से अधिक लोग जमा थे. इस बीच अफवाह फैली कि ईदगाह के क्षेत्र में धार्मिक रूप से प्रतिबंधित एक जानवर छोड़ दिया गया है, जिससे कई नमाजियों के कपड़े भी खराब हो गए हैं. फिर क्या था अफवाह ने रंग में भंग कर दिया. देखने हीं देखते मुरादाबाद शहर अखाड़े में तब्दिल हो गया. जमकर पत्थरबाजी हुई, तीन थानों को फूंक दिया गया, ड्यूटी पर तौनात एडीएम के साथ ही  तीन पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया गया, कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. यहीं नही पुलिस पर बेवजह फायरिंग का आरोप भी लगा, दंगा इतना भीषण था कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 83 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था और 114 लोग गंभीर रुप से घायल हो गए.जबकि गैर सरकारी आंकड़ों में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई. हिंसा में कई महिलाओं और बच्चों की जानें चली गईं. दंगा इतना भीषण था कि तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी  ने इसे विदेशी साजिश करार दिया था. यहीं नहीं खाड़ी के देशों से भारत के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों पर भी असर पड़ा था.

न्यायिक आयोग की रिपोर्ट 40 साल तक क्यों नहीं हुई सार्वजनिक? 

कांग्रेस की सरकार के ने बिना देर किए जांच के लिए जस्टिस एमपी सक्सेना की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित कर दिया. 20 नवंबर साल1983 में जस्टिस एमपी सक्सेना की अध्यक्षता वाली न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौप दी. तब से लेकर अब तक उत्तरप्रदेश में पंद्रह मुख्यमंत्री आए और चले गए लेकिन नहीं हुआ न्यायिक आयोग का रिपोर्ट सार्वजनिक. किसी मुख्यमंत्री ने मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की जहमत उठना ठीक नहीं समझा. इस कारण दंगे में मारे गए अधिकारियों और पुलिस के जवानों के परिवारों को न तो अलग से  मुआवजा मिल पाया और न ही कोई सरकारी मदद ही मिल पाई.

इस कारण 15 मुख्यमंत्रियो ने नहीं उठाई जहमत

 आखिर कारण क्या था कि समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया.अब इस घटना के 43 साल बाद उत्तरप्रदेश की आदित्यनाथ  योगी सरकार ने मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट को विधान मंडल में पेश कर दिया है. तो आप सहजता से समझ जाएंगे कि न्यायिक आयोग के रिपोर्ट पेश करने के 40 साल बीत जाने पर इसे सार्वजनिक करने की सरकारों ने जहमत क्यों नहीं उठाई. बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में एक स्थानीय मुस्लिम नेता की ओर दंगा भड़काने का इशारा है, जिसने राजनीतिक लाभ के लिए ये सब किया था.

योगी सरकार ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया

मुरादाबाद दंगा के 43 साल बाद योगी सरकार ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. मंगलवार को विधानसभा के मॉनसून सत्र में योगी सरकार ने रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा तो दंगे की परत दर परत से लोग परिचित हुए .बता दें  रिपोर्ट में एक स्थानीय मुस्लिम लीग के नेता शमीम अहमद खान के बारे में जिक्र है  जिसने  राजनीतिक लाभ के लिए दंगा भड़काया था. प्रशासन, पुलिस और पीएसी को जस्टिस एमपी सक्सेना की अध्यक्षता में वाली न्यायिक आयोग ने आरोप से मुक्त कर दिया था. न्यायिक आयोग ने इस दंगे में किसी हिंदू संगठन की भूमिका नहीं पाई  थी.


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