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'पारस' अस्पताल पर चलेगा डंडा? मरीज की मौत मामले में विधान परिषद कमिटी ने की जांच, 'प्रबंधन' की रिपोर्ट से कमिटी संतुष्ट नहीं

'पारस' अस्पताल पर चलेगा डंडा? मरीज की मौत मामले में विधान परिषद कमिटी ने की जांच, 'प्रबंधन' की रिपोर्ट से कमिटी संतुष्ट नहीं

PATNA: बिहार विधान परिषद में पिछले साल शून्यकाल के दौरान पारस अस्पताल की मनमानी और चिकित्सा में लापरवाही बरतने का मामला सदस्यों ने जोर-शोर से उठाया था। इसके बाद विप सभापति ने सदन की पांच सदस्यीय कमिटी गठित कर जांच का आदेश दिया था। जांच कमिटी ने पारस अस्पताल के सफाई से खुश नहीं है। संभावना है कि रिपोर्ट के आधार पर पारस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश हो सकती है। 

पारस अस्पताल पर होगी कार्रवाई?

आज विप के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह की अध्यक्षता में पारस अस्पताल, पटना में स्व. आयुष रंजन की हुई मृत्यु से संबंधित विषय पर बिहार विधान परिषद् की गठित जांच समिति की बैठक हुई। बैठक में पारस अस्पताल द्वारा सौंपे गए प्रतिवेदन से समिति संतुष्ट नहीं हुई। स्व. आयुष रंजन की मृत्यु के बाद उत्पन्न  परिस्थिति को गंभीरता से लेते हुए समिति ने आगामी बैठक में असैनिक शल्य चिकित्सक, पटना को भाग लेने के लिए निर्देश दिया है। समिति का कहना है कि चिकित्सकीय मनमानी पर अंकुश लगाने के उपायों पर विचार करने के लिए हरेक बिन्दु की समीक्षा की जाए।  बैठक में परिषद् के सदस्य रामवचन राय, प्रो. राजेन्द्र  प्रसाद गुप्ता ,केदार नाथ पाण्डेय, संजय सिंह, डॉ. रामचन्द्र पूर्वे मौजूद थे। 

जानें पूरा मामला

बिहार विधान परिषद में जुलाई 2021 में शून्यकाल में पारस अस्पताल की करनी का मामला उठा था। सबसे पहले विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह ने सदन में बताया था कि रोहतास निवासी 17 वर्षीय आयुष रंजन को शौच नहीं होने की शिकायत पर 22 जुलाई को पारस अस्पताल के जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया था। राउंड पर आए इंडोक्राइनोलाजिस्ट डा. नीरज सिन्हा ने दवा खाने को दी, जिसके बाद लगातार शौच होने लगा और तबीयत बिगड़ती चली गई। बाद में आयुष को सीसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया और कहा गया कि कोई अन्य डाक्टर नहीं है। 26 जुलाई को स्वजनों को बताया गया कि आयुष की मौत हो गई। सदस्य ने कहा कि यह पूरी तरह अस्पताल की लापरवाही है, ऐसे में सदन से कार्रवाई की मांग की गई।विप के अन्य सदस्य संजय सिंह, गुलाम गौस, नवल किशोर यादव समेत कई सदस्यों ने पारस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पर नाराजगी जताई थी। कहा कि आए दिन अस्पताल की शिकायतें आती रहती हैं। गुलाम गौस ने तो यहां तक कह दिया कि पारस अस्पताल नहीं, कत्लगाह है। इस पर कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि उनके संज्ञान में भी यह मामला है। अगर सदस्यों की राय हो तो इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाए। इस पर सदस्यों ने अपनी सहमति जताई। उसके बाद परिषद की पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर पूरे मामले की जांच करने का निर्णय लिया गया। 

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