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बैंड बजाकर बुराइयों का बैंड बजा रही ये बिहार की महिलाएं

बैंड बजाकर बुराइयों का बैंड बजा रही ये बिहार की महिलाएं

कहने को तो आज हम 21वी सदी के मॉडर्न समय में जी रहे हैं और सभी चीजों से आजाद हैं. पर यह आजादी आज भी महिलाओं के लिए कहीं न कहीं प्रतिबन्ध है. आज भी महिलाओं के साथ छेड़खानी, रेप, मार-पीट जैसी चीज़े होना आम माना जाता है. और इन्ही सब चीजों के खोलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की है कुछ महिलाओं ने. बिहार के छोटे गाँव की महिलाओं ने एक नया कदम उठाया है. पटना के धिबरा गाँव की कुछ महिलाओं ने 'सरगम बैंड' नाम का एक बैंड के  शुरुआत की है. 

पटना के दानापुर में धिबरा गांव की 10 महिलाएं ‘सरगम बैंड’ की सदस्य हैं. इस बैंड में शामिल महिलाओं की उम्र करीब 30 साल है. 'सरगम बैंड' का लक्ष्य है महिलाओं के साथ होती बुराइयों को खत्म करना. इस बैंड की एक महिला 'सुधा दीदी' की नाम से चर्चित हैं जो 'नारी गूंज' नाम का एक एनजीओ चलाती हैं. उनका कहना है कि रविदास समुदाय की ये महिलाएं अपनी खुद की एक पहचान बनाने में लगी हैं और सरगम बैंड उनके पहचान बनाने का एक जरिया है. समय-समय पर ये महिलाएं अपने अलग-अलग तरीके से सभी बुराइयों का सामना करती हैं. 

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यह काम इतना आसान नहीं है, पर फिर भी ये महिलाएं बदलाव लाने के लिए एक कदम उठाया है. सुधा दीदी ने कहा, "2016 में मुझे यह विचार सूझा जब मैं रविदास समुदाय की महिलाओं के लिए काम कर रही थी। अधिकतर महिलाएं खेतिहर मजदूर थीं। मैं उनकी सामाजिक और आर्थिक तरक्की के बारे में सोचना चाहती थी."

‘जब मैंने धिबरी की महिलाओं के साथ अपने विचार साझा किए तब शुरुआत में कई चौंकाने वाली प्रतिक्रिया सामने आई. यह हैरान करने वाला नहीं था. किसी ने भी यहां महिलाओं के संगीत बैंड के बारे में नहीं सुना था। जो काम उन्हें करने के लिए कहा जा रहा था वह मर्दों का काम माना जाता है.’

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