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मजदूरों का दर्द : सरकारी के दावों का पोल खोल रही है मनरेगा की रोजगार गारंटी, शिकायत - हमारा काम मशीनों से करा रहा है प्रशासन

मजदूरों का दर्द : सरकारी के दावों का पोल खोल रही है मनरेगा की रोजगार गारंटी, शिकायत - हमारा काम मशीनों से करा रहा है प्रशासन

KISHANGANJ :- कोरोना महामारी का प्रभाव तो हर क्षेत्र में पड़ा है लेकिन इसका सीधा असर देश की गरीब मजदूरों पर पड़ा है जिसकी छोटी सी बानगी टेढ़ागाछ में देखने को मिली। वहीं सरकार भी महामारी के बीच गरीब मजदूरों के साथ खड़ा होने एंव रोजगार की व्यवस्था करने का दावा कर रही है। जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड मुख्यालय स्थित बस पराव की यह तस्वीरें सरकार की उन दोवों की जमीनी हकीकत को बता रही है यहाँ सैकड़ों के तादात में लोग अपने घर परिवार साथ अपना भी पेट का भूख मिटाने के लिए पलायन को मजबूर है और अपने यहाँ रोजगार नही मिलने पर पंजाब हरियाना दिल्ली गुजरात आदी जैसे जगहों में जाने को मजबूर है। 

वही मनरेगा में काम करने के बात पर मजदूरों ने बताया कि योजना का काम अधिकतर ट्रैक्टर एंव मशीन लगाकर करते है। जिस कारण जहां 100 मजदूर काम करता वहां एक 10 से 15 मजदूर से ही काम चला लिया जाता है। वही नहीं स्थानीय युवक शाह आलम ने बताया कि सड़क हो या तालाब कोई भी काम नियम अनुसार नहीं करवाया जाता है। अगर मजदूरों को अपने ही पंचायत में काम मिल जाता तो यह लोगों इस महामारी के बीच प्रदेश में काम करने जाने पर मजदूर नही होते। जहाँ सरकार अपने ही क्षेत्र में रोजगार के लिए करोड़ों रुपए खर्च करते है वही मजदूरों का पलायन करना दुर्भाग्यपूर्ण है जरूरत है सरकार को अपने इस सिस्टम में सुधार लाने की ताकि लोगों को रोजगार मिल सके और मजदूरों की रोजगार को छीनने का काम करने वाले बिचौलियों पर नकेल कसने का कार्य किया जा सके।

जिला प्रशासन की लापरवाही

अगर मजदूरों की बात को सही माना जाए तो इसके लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है। मनरेगा के नियमों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि योजना के काम के लिए जेसीबी या इस प्रकार की दूसरी मशीन का प्रयोग किया जाए। योजना शुरू ही इसके लिए की गई थी कि अधिक से अधिक लोगों को काम उपलब्ध कराया जा सके। लेकिन चिंता की बात है कि किशनगंज प्रशासन में बैठे अधिकारी इस पर ध्यान देना जरुरी नहीं समझते।



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