PATNA: स्तनपान हर बच्चे का नैसर्गिक अधिकार है। स्तनपान केवल एक बच्चे या बच्ची को ही सुपोषित नहीं करेगा बल्कि ये सुपोषित बिहार और सुपोषित राष्ट्र का निर्माण करेगा। स्तनपान के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाने में पिता और परिवार के अन्य सदस्यों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये बातें पोषण अभियान बिहार की सद्भावना दूत अर्जुन पुरस्कार से सम्मनित राष्ट्रीय शूटर श्रेयषी सिंह ने आज विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर समाज कल्याण विभाग बिहार के द्वारा यूनीसेफ के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में कही।
बिहार में स्तनपान के बारे में बताए हुए श्रेयषी सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के अनुसार बिहार में जन्म के १ घंटे के अन्दर केवल 35 प्रतिशत बच्चों को ही माँ का दूध मिल पता है हमें इसे बढ़ाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि मैं, केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह करूँगी कि शौचालय की तरह महिलाओं को स्तनपान करवाने के लिए सार्वजनिक जगहों और कार्यस्थलों पर सुरक्षित कार्नर बनवाएं ताकि कामकाजी महिलाओं के लिए भी एक सकारात्मक और सहयोगी माहौल बनाया जा सके। श्रेयषी ने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि हम सब अपने-अपने माध्यम से स्तनपान के महत्व को जन-जन पर पहुचाए.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने कहा कि पहले माताएं स्तनपान ज्यादा करवाती थी बीच में इसमें कमी आ गई थी। अब फिर से लोगों में जागरूकता लाने की जरुरत है। बच्चों के पोषण पर ध्यान देना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें इस प्रकार के जागरूकता वाले कार्यक्रम को खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में करने की जरुरत है।
समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय के निदेशक आलोक कुमार ने कहा कि हम विश्व स्तनपान सप्ताह को पूरे माह के रूप में मनायेगे। बिहार में 6 माह तक केवन स्तनपान का आंकड़ा 54 प्रतिशत है और हमारा लक्ष्य इसे शत प्रतिशत करना है। अगर कोई बच्चा स्तनपान से छूट जाता है तो इसके 3 नुकसान है, एक तो बच्चा , माँ के दूध से वंचित रह जायेगा, माँ को बीमारियों का खतरा होगा और अगर बच्चा कुपोषित होगा तो समाज में वो अपना पूर्ण योगदान नहीं दे पायेगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पोषण अभियान की नोडल अधिकारी श्वेता सहाय ने कहा कि पोषण अभियान एक सामाजिक जनआन्दोलन का विषय है जिसमें स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण के साथ-साथ शिक्षा, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, श्रम संसाधन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग आदि की महत्वूपर्ण भूमिका है.
यूनीसेफ की पोषण पदाधिकारी डॉ. शिवानी डार ने कहा कि इस वर्ष के विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम सशक्त अभिभावक – सुगम स्तनपान आज एवं बेहतर कल के लिए है. स्तनपान करने वाले बच्चों का आई क्यू ज्यादा बेहतर होता है और उसके दिमाग का विकास अच्छा होता है. अगर हम एक माँ पर स्तनपान करवाने के लिए 1 डॉलर का निवेश करते है तो हमारी अर्थव्यवस्था में 35 डॉलर का रिटर्न मिलता है।
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी शिशु स्वास्थ्य, बिहार के डॉ विजय नारायण रॉय ने कहा राज्य सरकार के द्वारा स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए कंगारू मदर केयर, ऑप्टीमल फीडिंग, माँ ( Mother absolute Affection) कार्यक्रम और 70 इन्फेंट यंग चाइल्ड फीडिंग सेंटर चलाये जा रहे हैं। स्तनपान के लिए हमने 18 सरकारी अस्पतालों में एक्सक्लूसिव रूम बनाए है। साथ ही हमने 70,000 आशाओं के माध्यम से 4.58 लाख माताओं को स्तनपान के बारे में जागरूक किया है।
कार्यशाला को आईएमए बिहार चैप्टर के सचिव डॉ अनिल कुमार, पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ ऐके जायसवाल, एनएमसीएच के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राकेश ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय के पदाधिकारी, राष्ट्रीय पोषण मिशन के पदाधिकारी और सेव द चिल्ड्रेन, पिरामल, डिजिटल ग्रीन, वर्ल्ड विज़न, सी3, केयर, पीसीआइ इत्यादि डेवलपमेंट पार्टनर्स के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे ।