PATNA: हर साल पूरे विश्व में 22 सितंबर को विश्व गैंडा दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य है गैंडो की सभी पांच मौजूद प्रजातियों के रक्षण और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना। इस मौके पर बात करनी होगी पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान की। जो कि गैंडो के संरक्षण के लिए पूरे विश्व में सबसे आगे है। यहां उन्हें अनुकूल वातावरण और संरक्षण मिल रहा है जिस वजह से इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
जानवरों के अदला-बदली कार्यक्रम के तहत दिल्ली, कानपुर, रांची, हैदराबाद और अमेरिका को गैंडे उपलब्ध कराने के बावजूद संजय गांधी जैविक उद्यान में गैंडों की संख्या 13 है। इनमें शिशु गैंडा सहित सात नर और छह मादा शामिल हैं।
- नाम जन्म तिथि लिंग
- हड़ताली 8 जुलाई 1988 मादा
- रानी 6 जुलाई 1991 मादा
- अयोध्या 27 दिसंबर 1992 नर
- गौरी 8 अगस्त 2002 मादा
- गणेश 19 सितंबर 2004 नर
- लाली 3 दिसंबर 2005 मादा
- शक्तिराज 30 अक्टूबर 2007 नर
- एलेक्शन 6 अप्रैल 2009 मादा
- जंबो 11 नवंबर 2011 नर
- विद्युत 6 सितंबर 2013 नर
- शक्ति 8 जुलाई 2017 नर
- गुड़िया 8 मई 2020 मादा
- युवराज 16 जून 2020 नर
पटना में है देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र
पटना जू में गैंडो की बढ़ती संख्या को देखकर सेंट्रल जू ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र पटना में शुरू किया है। यहां 3.5 एकड़ में फैला हुआ गैंडा संरक्षण केंद्र है। इसे केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के सहयोग से 538.74 लाख रुपये की लागत से बनाया गया है। इसमें छह नाइट हाउस हैं। जहां एक साथ 25 गैंडों को रखा जा सकता है। यहां एक नर गैंडा गणेश व मादा गैंडा लाली को छोड़ा गया है। अगले पांच वर्ष में गैंडों की संख्या 20 तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
28 मई 1979 को लाया गया था पहला जोड़ा
28 मई 1979 को असम से एक जोड़ा भारतीय गैंडा संजय गांधी जैविक उद्यान में लाया गया था। इसमें नर कांछी की उम्र लगभग 2 वर्ष और मादा कांछी की उम्र 5 वर्ष थी। इसके बाद तीसरा गंडा 28 मार्च 1982 को लाया गया। उद्यान के प्राकृतिक वातावरण और उत्कृष्ट प्रजनन नीतियों के कारण यहां इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती गई। फिलहाल उद्यान के पास गेंदों की चार ब्लड-लाइन है, जो शायद ही दुनिया में किसी चिड़ियाघर में उपलब्ध है।