पटना. पुलिस अनुसंधान में लेटलतीफी की बातें अक्सर सामने आती हैं लेकिन कोई मामला 37 साल से अटका पड़ा हो यह हैरान करता है. यह पुलिस की कार्यपद्धति पर सवाल खड़े करता है. मामला बिहार के औरंगाबाद से जुड़ा है जहाँ न्यायालय को दो भिन्न मामलों में 30 साल से ज्यादा समय से पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है.
बारुण थाना कांड संख्या 154/84 में पिछले 37 वर्षों से मृतक का पोस्टमार्टम रिपोर्ट न्यायालय में जमा नहीं हुआ है तो एक अन्य मामले ओबरा थाना कांड संख्या 73/90 (अब खुदवां थाना) में पिछले 31 साल से पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है. पुलिस द्वारा न्यायालय में रिपोर्ट जमा नहीं करने के कारण एक ओर कोर्ट पर केस का बोझ है तो दूसरी ओर न्याय मिलने में देरी हो रही है.
व्यवहार न्यायालय के एडीजे-15 अमित कुमार की अदालत में बुधवार को दोनों मामलों की सुनवाई में हुई. दोनों मामले में पाया गया कि पिछले 30 साल से अधिक समय से मृतकों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट कोर्ट में समर्पित नहीं किया गया है. यहाँ तक कि दोनों मामले में एक-दो अभियुक्तों की मौत भी हो गई है. जिन अभियुक्तों की मौत हुई उनका मृत्यु प्रमाण्पत्र या पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक कोर्ट में जमा नहीं किया गया है. अब कोर्ट ने मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं भेजे जाने के मामले को गंभीरता से लिया है. कोर्ट की अवमानना मानते हुए दोनों थाना के थानाध्यक्षों को न्यायालय की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.