SUPAUL : जिले के त्रिवेणीगंज में मनरेगा मजदूरों को भले ही काम की कमी हो, लेकिन यहां के मनरेगा डिपार्टमेंट में दिन दुगुनी रात चोगनी विकास देखने की मिल रहा है, यहां इतनी व्यस्तता है कि एक नहीं चार- चार प्राइवेट स्टाफ रखना पड़ रहा है। जाहिर है कि बिना पैसा का एक भी कार्य नही हो रहा है। आमलोगों से लेकर जनप्रतिनिधि तक त्रस्त है, यह सारा खेल मनरेगा पीओ विजय कुमार नीलम के संरक्षण में हो रहा है, गैर सरकारी लोग कर्मचारी के दायित्वों का निर्वहन करते नजर आते हैं। मजबूरी में लोगों को अपने कार्य के लिए इन दलालों को ही सहारा लेना पड़ता है। यह सब कार्य अधिकारी के अधिनस्थ कर्मचारी के रूप में होता है।
जाहिर है की इन्हें वेतन सरकार तो देती नहीं है, भ्रष्टाचार कर ये लोग पैसे कमाते हैं। आम आदमी का काम बिना पैसे का होता नहीं है। हद तो यह है कि पूरे सरकारी कार्यालय का चाबी उन्हें सौंप देते हैं। ऐसे गैर सरकारी, गैर जिम्मेदर लोगों को सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ करने का हक देना कैसे न्यायसंगत है?
इन सारे सवाल पर मनरेगा ने कर्मी ने बताया कार्यालय मे कार्य इतना बढ़ गया कि चार निजी कर्मी को कार्यालय में रखकर कार्य करवाते और अपने वेतन में से हमलोग उनको पैसा देते हैं। नाम नही छापने की शर्त पर कुछ जनप्रतिनिधि ने कहा बिना पैसा दिए हुए एक भी कार्य नही होता है, हर एक मोड़ पर पैसा देना पड़ता है। यह लोग निजी कर्मी के नाम पर दलाली करते हैं और इन्हीं निजी कर्मी के सहारे मनरेगा कर्मी पैसा वसूली करते हैं। दूसरी ओर जिले के अधिकारियों द्वारा भी संज्ञान नहीं लिया जाता है।
कार्यालय में बैठे इन तस्वीरों को देखकर आप सोचते होंगे कोई अधिकारी है, बल्कि नहीं कई वर्षों से यह कार्यालय में जमे हुए इन्हें हटाने के लिए कोई भी अधिकारी की नजर नहीं जाती है, आप भी देख सकते हैं कि किस प्रकार अधिकारी के तरह बैठकर सरकारी दस्तावेज का छेड़छाड़ करते नजर आए । सरकारी व्यक्ति दलाल के रूप में संबंधित व्यक्ति से कागजात भी लेते हैं और अधिकारी से काम भी करवा कर देते हैं।
अवैध तरीके से इन लोगों द्वारा कार्य किया जाना रजिस्टर से छेड़छाड़ किया जाना कतई उचित नहीं है। जिससे लोग अवैध वसूली की शिकार होता जा रहा है, जिससे आम लोगों से लेकर जनप्रतिनिधि तक आक्रोशित हैं।