MOTIHARI: वाह रे मोतिहारी का सरकारी सिस्टम.... गाड़ी का अता-पता नहीं और प्रशासन ने कर दिया डाक। एमवीआई ने गाड़ी का वेरिफिकेशन भी कर लिया और दाम भी फिक्स कर दिया। फिर प्रशासन ने उस गाड़ी को 1 लाख रू में नीलाम भी कर दिया। 1 लाख रू सरकारी कोष में रू देकर डाक लेने वाला शख्स दर-दर भटक रहा है। जिस गाड़ी को डाकधारी ने एक लाख रू देकर खरीदा वो गाड़ी तो थाना में है ही नहीं। वह गाड़ी तो चार साल पहले ही कोर्ट से रिलीज हो गई।
मोतिहारी में बड़ा खेल
मोतिहारी में परिवहन विभाग के एमवीआई-मद्य निषेध विभाग का अजीबो-गरीब कारनामा सामने आया है। थाना में गाड़ी देखे बिना एमवीआई ने कर दिया मूल्यांकन।वहीं मधनिषेध विभाग ने निकाल दिया टेंडर। डाक में बोलेरो गाड़ी के लिए 1 लाख की बोली लगा और पैसा जमा कर जब वह व्यक्ति थाना पहुंचा तो थाना में गाड़ी ही नही है ।पता चला कि बोलेरो तो वर्ष 2017 में ही हाई कोर्ट के आदेश पर रिलीज हो गया। आखिर जब गाड़ी थाना में था ही नही तो मूल्यांकन कैसे हो गया? यह बड़ा सवाल है। ।वही थाना में जब गाड़ी थी ही नही था तो मद्यनिषेध विभाग ने डाक कैसे कर दिया?
डाक लिया व्यक्ति एक लाख रुपया जमा के थाना का लगा रहा है। मामला मोतिहारी के डुमरिया घाट थाना का है। मामला उस समय उजागर हुआ जब मद्ध निषेध विभाग से गाड़ी का डाक लेकर उसे रिलीज कराने डाकधारी थाने पहुंचा. जहां थानेदार ने उस गाड़ी के थाने में नही होने की बात बताई। मामले को लेकर रामपुर खजुरिया निवासी अनुज गिरी ने स्थानीय थाने से लेकर वरीय अधिकारियों तक आवेदन देकर गाड़ी मुक्त कराने के लिए न्याय का गुहार लगाई है। उसने बताया है कि 23 दिसंबर को मद्ध निषेध विभाग के जिला कार्यालय में आयोजित गाड़ियों के ऑक्शन में शामिल होकर डुमरियाघाट थाना कांड संख्या- 86/17 में जब्त एक बोलेरो संख्या- बीआर06पी 7989 की उच्चतम बोली लगा उस गाड़ी का अधिकार पत्र अपने नाम किया है.उसने ऑक्शन में बोली गयी उच्चतम नीलामी राशि एक लाख रुपये 25 दिसंबर को विभागीय कार्यालय में जमा करा दिया है. साथ ही विभाग से उक्त बोलेरो गाड़ी को थाना से विमुक्त कराने के लिए प्रमाण पत्र ले लिया। इधर गाड़ी को विमुक्त कराने जब वह थाने पहुंचा तो थानेदार ने बताया कि उक्त गाड़ी थाना में नही है. उक्त बोलेरो संख्या- बी आर 06 पी 7989 उच्चतम न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2017 में ही मुक्त हो गया है.
कटघरे में एमवीआई से लेकर मद्य निषेध विभाग
बड़ा स,वाल यही है कि जब गाड़ी पूर्व में ही मुक्त हो गया तो उसका डाक कैसे हुआ. जबकि नियमानुसार डाक से पूर्व जब्त गाडियों का निरीक्षण व मूल्यांकन एमवीआई द्वारा किया जाता है. जब बोलेरो को 2017 में ही रिलीज कर दिया गया तो एमवीआई ने मूल्यांकन कैसे कर दिया...क्या बिना देखे ही ऑफिस में बैठे-बैठे ही सबकुछ हो गया ? वहीं इस संबंध में जब डुमरिया घाट थानाध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि मानवीय भऊल की वजह से यह सब हुआ। जब्त बोलेरो को 2017 में हाईकोर्ट के आदेश पर रिलीज किया गया था। अब एमवीआई ने कैसे निरीक्षण किया और मद्य निषेध विभाग ने डाक कैसे कर दिया यह तो वही बता सकते हैं।
मोतिहारी से हिमांशु की रिपोर्ट