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2500 साल पहले के इतिहास से रू-ब-रू होना है तो सैर कीजिए गेट वे ऑफ पटना की

2500 साल पहले के इतिहास से रू-ब-रू होना है तो  सैर कीजिए गेट वे ऑफ पटना की

PATNA : पटना का नया लैंड मार्क है सभ्यता द्वार। बापू सभागार के पीछे गंगा तट पर बना यह सभ्यता द्वार मुब्ई के गेट वे ऑफ इंडिया और दिल्ली के इंडिया गेट से अनुप्रेरित है। इसकी ऊंचाई 32 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर है। इसको बनाने में करीब 5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह मुम्बई के गेट वे ऑफ इंडिया से 6 मीटर ऊंचा है। यह बिहार का नया पर्यटक स्मारक है। अब इसे गेट वे ऑफ बिहार के रूप में जाना जाएगा। सोमवार शाम 5.30 बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका उद्घाटन किया।


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सभ्यता द्वार नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जनवरी 2012 में नीतीश कुमार ने कहा था कि गांधी संग्रहालय के उत्तर सभ्यता द्वार बनेगा । छह साल बाद नीतीश कुमार का यह सपना साकार हो गया।

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पटना स्थित सभ्यता द्वार पाटलिपुत्र और बिहार के प्राचीन गौरव का प्रतीक है। इसकी दीवारों पर महात्मा बुद्ध, सम्राट अशोक, तीर्थंकर महावीर, यूनानी यात्री मेगास्थनीज जैसी महान विभूतियों की उक्तियां अंकित हैं। मेगास्थनीच ने अपनी किताब इंडिका में प्राचीन पाटलिपुत्र शहर बड़ा सुंदर वर्णन किया है। उसने इंडिका में लिखा है कि पाटलिपुत्र भारत का सबसे बड़ा नगर है जो गंगा और सोन नदी के संगम पर बसा है। इसकी लंबाई 9.5 मील और चौड़ाई पौने दो मील है। नगर के चारों ओर एक रक्षा दीवार है जिसमें कई फाटक और दुर्ग बने हुए हैं। मेगास्थनीज ने करीब 2500 हजार साल पहले प्राचीन पाटलिपुत्र नगर की भव्यता का वर्णन किया है। मेगास्थनीज यूनान का राजदूत था जो सम्राट चंद्रगुप्त के दरबार में आया था।

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