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रोहतास के सात साल के अद्वैत की प्रतिभा देख दंग रह जायेंगे, धार्मिक पुस्तकों में है रुचि, कंठस्थ है कई वैदिक मंत्र

रोहतास के सात साल के अद्वैत की प्रतिभा देख दंग रह जायेंगे, धार्मिक पुस्तकों में है रुचि, कंठस्थ है कई वैदिक मंत्र

SASARAM : रोहतास जिला के सासाराम के रहने वाले 7 वर्षीय अद्वैत साह इन दिनों कठिन मंत्रो के उच्चारण तथा धार्मिक पुस्तक प्रेम के लिए चर्चा में हैं. सासाराम के कंपनी सराय मोहल्ले के 7 वर्षीय अद्वैत साह कई धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन कर चुके हैं. जिसमें उसके माता-पिता तथा गुरुजनों का भी योगदान रहता है. वैसे तो पाठ सामग्री के अलावे सामान्य पुस्तकों में भी उनकी रुचि है. लेकिन कक्षा- 2 के इस छात्र को धार्मिक मंत्रों जैसे पुस्तकों से विशेष लगाव है. भगवान शिव से जुड़े शिव स्तोत्र तथा शिव तांडव जैसे मंत्र उच्चारण यह बेहद संजीदा तरीके से करते हैं. यहां तक की शिव तांडव के कई कठिन मंत्र इन्हें बखूबी भी याद है. जिससे धार्मिक ग्रंथो के प्रति उनकी रुचि देखने को मिलती है. शिव तांडव मंत्री के अलावा दुर्गा सप्तशती, श्रीमद् भागवत गीता, दिव्य वाणी, साधना सामग्री रहस्य जैसी पुस्तकों का भी यह अध्ययन कर चुके हैं. 

सात वर्षीय अद्वैत को है धार्मिक पुस्तकों से लगाव

सासाराम के बैंक कॉलोनी स्थित लिटिल एंजिल प्ले स्कूल का यह छात्र बचपन से ही होनहार है. अपने तोतली जुबान से जब वे मंत्रो का उच्चारण करते हैं तो माहौल भक्तिमय हो जाता है. शिव स्रोत तथा शिव तांडव जैसे मंत्रो का उच्चारण सजीव तरीके से करते हैं. अद्वैत कहते हैं कि इन दैविक मत्रों से आंतरिक ऊर्जा मिलती है. जो हमें सफल बनाती है. इतना ही नही हरमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों पर भी अद्वैत की बेजोड़ पकड़ है। ये गीत, भजन, मंत्र आदी संगीतमय तरीके से भी गाते है. हरमोनियम पर सुर लय ताल के साथ जब ये भजन तथा मंत्र का उच्चारण करते है तो माहौल भक्तिमय हो जाता है.

बच्चों के पुस्तकों का है अपना संसार

पाठ्य पुस्तकों के अलावे बच्चों को बाल पत्रिकाएं भी पढ़ना चाहिए. जिससे उसमें विभिन्न विधाओं से संबंधित अभिरुचि का विकास होता है. पिछले दो दशक पूर्व तक कई बाल पत्रिकाएं बाजार में उपलब्ध थी. जिससे बच्चे लाभान्वित होते थे तथा उन्हें पुस्तकों से प्रेम बढ़ता था. लेकिन जब से टू हमारा समाज डिजिटल का प्रभाव हुआ है. उसके बाद बाल पत्र पत्रिकाओं की संख्या कम हो गई है. यहां तक की छोटे शहरों में बुक स्टॉल लगभग समाप्त हो गए हैं. पहले जहां बच्चे अपने पसंद के पुस्तकों को बुक स्टॉल से खरीद लेते थे. लेकिन अब यह नहीं दिख रहा. ज्यादातर बच्चे मोबाइल में ही व्यस्त रहते हैं. ऐसे में इस अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस का महत्व काफी बढ़ जाता है. ताकि बच्चों को पुस्तकों के प्रति लगाव जागृत किया जा सके.

प्रत्येक वर्ष अप्रैल में मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस

इंटरनेशनल बॉर्डर ऑन बुक फॉर यंग पीपल के द्वारा सन 1967 से इसकी शुरुआत की गई. यह एक गैर लाभकारी संस्था द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम है. जिसके तहत प्रत्येक वर्ष  के अप्रैल के दूसरे दिन को पूरे दुनिया में बच्चों को पुस्तकों एवं साहित्य के प्रति जागृत करने के उद्देश्य से यह अंतराष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस मनाया जाता है. जिसके माध्यम से बच्चों में पुस्तक प्रेम को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है. विकसित देशों में तो इस वृहद पैमाने पर आयोजित किया जाता रहा है. लेकिन अब भारत जैसे विकासशील देशों में भी इसकी प्रासंगिकता देखने को मिल रही है. बच्चों में अधिक से अधिक पुस्तकों के प्रति प्रेम को बढ़ावा देना इस दिवस का उद्देश्य है.

सासाराम से रंजन की रिपोर्ट

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