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पत्नी को शिक्षक बनाने के लिए युवक ने स्कूटी से तय किया 1300 किलोमीटर का सफ़र, पढ़िए पूरी खबर

पत्नी को शिक्षक बनाने के लिए युवक ने स्कूटी से तय किया 1300 किलोमीटर का सफ़र, पढ़िए पूरी खबर

DESK : बिहार में गया के रहनेवाले दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी की मौत के बाद पहाड़ को काट कर रास्ता बना दिया था. इससे प्रेरित होकर झारखण्ड एक आदिवासी युवक ने अपनी पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटी से 1300 किलोमीटर का दूरी तय कर ग्वालियर पहुंच गया. पत्नी के शिक्षक बनने का सपना साकार करने के उद्देश्य से धनंजय ने स्कूटी से इतना लंबा सफर तय करने का निश्चय किया था. 

बताया जा रहा है की पत्नी को डीएलएड के परीक्षा में शामिल होना था. कोरोना महामारी के कारण ट्रेन और बस सहित यात्रा का कोई साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण झारखंड के गोड्डा से धनंजय अपनी गर्भवती पत्नी सोनी हेम्ब्रम (22) को स्कूटर पर बिठाकर डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) की परीक्षा दिलाने के लिए 30 अगस्त को ग्वालियर पहुंचा था. इस सफर के दौरान उसने बारिश और खराब सड़कों का भी सामना किया और तीन दिन में करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय किया. धनंजय ने ग्वालियर आने के लिए पत्नी के जेवर गिरवी रखकर 10,000 रुपये उधार लिये थे.

हालांकि अब इस दम्पति को स्कूटर से वापस नहीं आना पड़ेगा. इनकी वापसी के लिए हवाई जहाज का टिकट बुक करा दिया गया है. 16 सितंबर को यह दंपती हवाई जहाज से झारखंड लौटेंगे. इस आदिवासी दंपती के संघर्ष को देखते हुए इनके लिए हवाई यात्रा का इंतजाम अडानी फाउंडेशन ने किया है. ग्वालियर से रांची के लिए सीधी उड़ान नहीं है, इसलिए वे हैदराबाद होकर रांची पहुंचेंगे. 

इसके बाद रांची से सड़क मार्ग से गोड्डा जायेंगे. उनके स्कूटर को भी भेजने का इंतजाम अडानी फाउंडेशन करेगा. हालांकि उनके संघर्ष को देखते हुए कुछ लोगों ने उन्हें ग्वालियर में ही नौकरी देने की पेशकश की है. उसने बताया है कि उसे बिहार के गया जिला के दशरथ मांझी से प्रेरणा मिली, जिन्होंने अपनी पत्नी की वजह से पहाड़ काटकर सड़क तैयार कर दी थी.

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