Valentine love story: कहानी की शुरुआत पंजाब के मोगा जिले से होती है, जहां मौजगढ़ गांव की सुखजिंदर और नूरपुर के पलविंदर के बीच स्कूल के दिनों का प्यार परवान चढ़ा। कम उम्र में शुरू हुआ यह प्यार वक्त के साथ गहराता गया, लेकिन इस बीच कई कठिनाइयां भी आईं। सुखजिंदर सिख जट परिवार से थी और पलविंदर मजहबी जट परिवार से, जिससे उनके परिवारों के बीच शादी की सहमति मिलना मुश्किल था।
घर से भागने का फैसला
अपने रिश्ते को परिवारों की असहमति से बचाने के लिए दोनों ने घर से भागने का फैसला किया और 2013 में दिल्ली भागकर अपनी नई ज़िंदगी शुरू कर दी। लेकिन उनकी आज़ादी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। पुलिस ने उन्हें मोगा वापस लाकर पलविंदर को गिरफ्तार कर लिया।
कानून का पेच
जब सुखजिंदर और पलविंदर भागे थे तब दोनों नाबालिग थे। लेकिन गिरफ्तारी के वक्त तक पलविंदर 18 साल का हो चुका था, जिसके चलते उसे नाबालिग लड़की को भगाने और रेप के आरोप में जेल भेज दिया गया। इस बीच, सुखजिंदर के घरवालों ने पलविंदर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी और पुलिस ने उसे रेप का आरोपी ठहरा दिया।
प्रेम और न्याय की लड़ाई
सुखजिंदर ने पुलिस और अदालत में बार-बार कहा कि वह अपनी मर्जी से पलविंदर के साथ गई थी और उसके साथ रेप नहीं हुआ था। लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर दिया गया। 22 महीने जेल में बिताने के बाद पलविंदर को 2016 में जमानत मिल गई। बावजूद इसके, दोनों का प्यार कम नहीं हुआ और उन्होंने 2017 में स्थानीय गुरुद्वारे में शादी कर ली।
शादी और सजा
शादी के बाद सुखजिंदर और पलविंदर को एक बेटी भी हुई। लेकिन इसी बीच, जुलाई 2017 में सैशन कोर्ट ने पलविंदर को रेप के केस में 7 साल की सजा सुनाई। सुखजिंदर ने अदालत में गुहार लगाई कि उनका रेप नहीं हुआ और पलविंदर को सजा न दी जाए, लेकिन उसकी आवाज़ नहीं सुनी गई।
सवाल: क्या यह न्याय है?
सुखजिंदर का सवाल अब यह है कि जब वह खुद कह रही है कि उसके साथ रेप नहीं हुआ, तो उसे जबरदस्ती रेप पीड़िता क्यों बनाया जा रहा है? क्यों उसके पति को, जो उसकी मर्जी से उसके साथ था, एक रेपिस्ट करार दिया जा रहा है? पलविंदर ने सुखजिंदर के साथ हर कठिनाई में साथ दिया, लेकिन अब उसे एक ऐसे जुर्म की सजा भुगतनी पड़ रही है, जो उसने किया ही नहीं।