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दुधारू गाय की हुई नीलामी,लाखों की लगी बोली,किसान ने रिकॉर्ड पैसा देकर खरीदा,हिंदुस्तान में बना सबसे ज्यादा मूल्य में गाय खरीदी का इतिहास...

थारपारकर गाय की यह नीलामी न केवल पशुपालन के क्षेत्र में किसानों की बढ़ती रुचि को दर्शाती है, बल्कि स्वदेशी नस्लों के महत्व और उनके संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

 दुधारू गाय की हुई नीलामी,लाखों की लगी बोली,किसान ने रिकॉर्ड पैसा देकर खरीदा,हिंदुस्तान में बना  सबसे ज्यादा मूल्य में गाय खरीदी का इतिहास...
थारपारकर नस्ल की गाय ने रचा इतिहास- फोटो : @Dept_of_AHD

Tharparkar cow auction: केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म द्वारा शुक्रवार को आयोजित सार्वजनिक नीलामी में थारपारकर नस्ल की गाय ने इतिहास रच दिया। इस नीलामी में सतारा, महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान और ब्रीडर पुष्कराज विठ्ठल ने थारपारकर गाय संख्या 8034 को 9 लाख 25 हजार रुपये की रिकॉर्ड बोली में खरीदा। यह केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म के इतिहास में अब तक की सबसे ऊंची कीमत है, जो एक गाय के लिए दी गई है।


नीलामी में बढ़ी किसानों की रुचि

इस नीलामी में 85 किसानों और पशुपालकों ने पंजीकरण करवाया और कुल 43 पशुओं को नीलामी के लिए रखा गया। पिछले साल की तुलना में इस साल थारपारकर गाय की कीमत में भारी इजाफा देखने को मिला, जहां पिछले वर्ष की अधिकतम बोली 3.05 लाख रुपये थी, वहीं इस बार यह रिकॉर्ड 9.25 लाख रुपये तक पहुंच गया।



थारपारकर नस्ल की बढ़ती मांग

केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म के संयुक्त आयुक्त वीके पाटिल ने कहा कि स्वदेशी थारपारकर नस्ल की गाय के प्रति किसानों और पशुपालकों की रुचि दिन-ब-दिन बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि नीलामी से 79.48 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो थारपारकर गाय के शुद्ध जर्मप्लाज्म के प्रति किसानों के बढ़ते लगाव को दर्शाता है।


शुद्ध जर्मप्लाज्म की मांग

स्वदेशी नस्लों के शुद्ध जर्मप्लाज्म के महत्व को लेकर किसानों की जागरूकता में भी बढ़ोतरी हो रही है। पाटिल ने कहा कि सीसीसीएचएफ सूरतगढ़ हमेशा उच्च गुणवत्ता वाला थारपारकर जर्मप्लाज्म प्रदान करने के लिए तत्पर रहता है और इस प्रकार की नीलामियों के माध्यम से किसानों और प्रजनकों को बेहतर गुणवत्ता वाले पशु उपलब्ध कराना जारी रखेगा।

कहां पाई जाती है थारपारकर गाय

थारपारकर गाय, जो मुख्यतः राजस्थान के जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर क्षेत्रों में पाई जाती है, अपनी अद्भुत विशेषताओं के कारण देश भर में प्रसिद्ध है। इसका उद्गम पश्चिमी राजस्थान और सिंध (पाकिस्तान) से माना जाता है। यह गाय अपने छोटे और मजबूत शरीर, हल्के भूरे रंग, और लंबे चेहरे के लिए जानी जाती है। इसके मध्यम आकार के सींग और मजबूत जोड़ इसे अन्य नस्लों से अलग बनाते हैं।


थारपारकर गाय की विशेषता

थारपारकर गाय का मूल स्थान पश्चिम राजस्थान और सिंध है, लेकिन यह बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और कच्छ के क्षेत्रों में मुख्य रूप से पाई जाती है। इस नस्ल की गाय साल में 3000 लीटर तक दूध देती है। इसका लैक्टस काल 300+ दिनों का होता है। इसके दूध में वसा और ओमेगा 3 की भरपूर मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। यह गाय अपने जीवनकाल में लगभग 15 बार बच्चों को जन्म देती है, जिससे इसकी प्रजनन क्षमता भी काफी अच्छी मानी जाती है।


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