crocodile attacks: राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में चंबल नदी और इसकी सहायक नदियों में मगरमच्छों का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोटा जिले के चंद्रसाल गांव में बुधवार को ऐसी ही एक खतरनाक घटना घटी, जहां 70 वर्षीय बाबूलाल ने अपनी हिम्मत और सूझबूझ से मौत के मुंह से बाहर निकलने में कामयाबी हासिल की।
मगरमच्छ के हमले से हुआ संघर्ष
चंद्रलोई नदी के किनारे शौच करने गए बाबूलाल पर लगभग 12 फीट लंबे मगरमच्छ ने अचानक हमला कर दिया। मगरमच्छ ने उन्हें कमर तक पानी में खींच लिया और शिकार बनाने की कोशिश की।
कैसे बचाई जान:
बाबूलाल के पास कुल्हाड़ी थी, जिसे उन्होंने हथियार की तरह इस्तेमाल किया। मगरमच्छ पर लगातार वार करते हुए उन्होंने खुद को छुड़ाया। हमले में बाबूलाल का बायां हाथ fractured हो गया, और सिर पर चोट के लिए टांके लगाए गए हैं। फिलहाल बाबूलाल अस्पताल में भर्ती हैं, और उनकी बहादुरी की हर ओर सराहना हो रही है।
गांव में दहशत का माहौल
चंद्रसाल गांव की चंद्रलोई नदी में पिछले दो दशकों से सैकड़ों मगरमच्छ रहते हैं। सर्दियों के दौरान ये मगरमच्छ धूप सेंकते हुए देखे जाते हैं। किसानों और ग्रामीणों को खेती-बाड़ी के दौरान लगातार खतरा बना रहता है। बाबूलाल की घटना ने गांव में डर और चिंता को और बढ़ा दिया है।
ग्रामीणों का डर
बाबूलाल की बहादुरी के बावजूद, गांव के लोग अपने दैनिक कार्यों के दौरान मगरमच्छों के हमलों से चिंतित हैं। चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों में मगरमच्छों की बढ़ती संख्या के कारण मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष के मामले बढ़ रहे हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन से सुरक्षा उपायों की मांग की है, जैसे कि नदी किनारे चेतावनी बोर्ड, मगरमच्छों के लिए सुरक्षित क्षेत्र, और नदी किनारे की निगरानी।