हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सालभर में कुल 4 नवरात्रि पड़ती है, जिसनें से 2 गुप्त नवरात्रि और इसके अलावा चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती है। हर एक नवरात्रि का अपना-अपना महत्व है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेककर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि पड़ती है।
इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। कई साधक घर में कलश स्थापना करते हैं। इसके साथ ही नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना विधि, पूजा विधि सहित अन्य जानकारी।
पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत आज से हो गई है। उदया तिथि के हिसाब से 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का मुहूर्त क्या रहने वाला है,
ज्योतिषविदों की मानें 3 अक्टूबर की सुबह साधक बिना कोई चिंता किए देवी की चौकी लगा सकते हैं और तय मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना के 2 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। आप इच्छानुसार किसी भी शुभ मूहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं।
पहला शुभ मुहूर्त- 3 अक्टूबर को सुबह 06:30 बजे से सुबह 07:31 बजे तक है। दूसरा अभिजीत मुहूर्त- 3 अक्टूबर को दोपहर 12.03 बजे से दोपहर 12.51 बजे तक रहेगा।
सुबह जल्दी जाग कर सबसे पहले पूरे घर की साफ-सफाई करें। घर में गंगाजल का छिड़काव जरूर करें। स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। तुलसी पर गंगाजल छिड़कें। फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार, गरीबों को खाने या इस्तेमाल की जाने वाली चीजें दान करें। जिस स्थान पर आप देवी की चौकी और कलश स्थापना करने वाले हैं, वहां साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें।
चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना के लिए कुछ आवश्यक सामग्री चाहिए। इसमें चौड़े लकड़ी की चौकी, मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान की मिट्टी, 7 प्रकार के अनाज, कलश, गंगाजल, कलावा या मौली, सुपारी, आम या अशोक के पत्ते, अक्षत (साबुत चावल), जटा वाला नारियल, लाल कपड़ा, पुष्प और पुष्पमाला है।
पहले मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं। फिर उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें। इसके बाद आम या अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रखें। अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें। इस नारियल में कलावा भी लपेटा होना चाहिए। घटस्थापना पूरा होने के बाद देवी का आह्वान करते हैं। आप चाहें तो अपनी इच्छानुसार और भी विधिवत पूजा कर सकते हैं।