Navratri 2024: जलभरी के साथ ही नव दिवसीय महा नवरात्रि की त्योहार की शुरूआत हो गई है। मां दुर्गा की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र पर श्रद्धालु मन्दिर, पूजा पंडालों के साथ ही घरों में भी कलश की स्थापना कर वेद मन्त्रों के साथ विधि विधान से पूजा पाठ कर रहे हैं।
शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा आराधना कर लोगों देश एवं प्रदेश के साथ परिवार में सुख, शांति व समृद्धि की कामना कर रहे है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में नवरात्र की भक्ति गीतों एवं वेदमन्त्रों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। उत्तरायणी गंगा की तट से कलश में गंगाजल भरकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा पंडाल, मंदिर व घरों में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर रहे हैं।
शरदीय नवरात्रि की व्रत की महत्ता बताते हुए गंगा आरती के पुजारी पंडित लाला बाबा ने बताया कि, प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का विधान हैं। जिन्हें सौभाग्य की देवी भी कहा जाता है। शैलपुत्री से सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है। पर्वत राज हिमालय के घर जन्म लेने से माता का नाम शैलपुत्री पड़ा।
जिले के अलग अलग पूजा समितियो के द्वारा जलभरी शोभयात्रा निकाली गई, बड़ी देवी महाशक्ति पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि, माता की जलभरी नगर में शोभायात्रा के साथ निकाली गयी है। जिसमे हर वर्ग और हर धर्म के लोग शामिल रहे। वहीं श्री भारतीय कला निकेतन पूजा समिति के सदस्य शशांक वर्मा उर्फ़ छोटू वर्मा ने बताया कि, हर साल की तरह इस साल भी जलभरी की शोभायात्रा बड़े धूम-धाम से निकाली गयी है। शोभायात्रा नगर के मेन रोड नहर होकर पुनः नगर से गुजरते हुए रामरेखा घाट पहुँचेगी, तत्पश्चात जलभरी कर घट की स्थापना होगी।
जलभरी के साथ ही नौ दिन का अनुष्ठान का संकल्प लिया जाता है। पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है। दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की। तृतीय दिन चंद्रघंटा माता और चौथे दिन कुष्मांडा माता की। पांचवें दिन स्कंदमाता की और छठे दिन कात्यायनी जी की। सातवें दिन कालरात्रि जी की। इसी तिथि को पंडालों में पट खुलता है। और आठवें दिन मांता महागौरी की और नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है। उसी तिथि को अनुष्ठान व पाठ करने वाले लोग हवन भी करते हैं।
पंचांग में इस साल शारदीय नवरात्रि पर घट स्थापना के कई शुभ मुहूर्त दिए गए हैं। घट स्थापना का सबसे पहला शुभ मुहूर्त: 3 अक्टूबर, गुरुवार को सुबह 06:14 से 07:23 मिनिट तक है। वहीं स्थापना के लिए दूसरा शुभ अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 मिनिट तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार हस्त नक्षत्र और इंद्र योग के संयोग में शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहा हैं। इस बार नवरात्र 3 से लेकर 11 अक्टूबर तक है और 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने से यह तिथि दो दिन 6 और 7 अक्टूबर को मनाई जाएगी। वहीं नवमी तिथि का क्षय होने पर महाअष्टमी और महानवमी का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी ने बताया कि नवरात्र की प्रत्येक तिथि एक विशिष्ट देवी को समर्पित होता है।
बक्सर से संदीप वर्मा की रिपोर्ट