प्रयागराज में बाहुबली फिल्म जैसा नजारा, हाथों में नवजात को उठाकर बाढ़ के पानी से निकलती मां, देखकर फट जाएगा कलेजा!

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में लगातार हो रही झमाझम बारिश का असर अब भयावह रूप लेने लगा है। प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं और शहर के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि हजारों लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
रातों-रात बाढ़ ने घेरा घरों को, लोग हुए बेघर
शनिवार की रात अचानक जैसे ही लोग नींद से जागे, उन्होंने देखा कि बाढ़ का पानी उनके घरों में घुस चुका है। कई इलाकों में तो पानी कमर तक चढ़ गया, जिससे लोगों को जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों की ओर भागना पड़ा। घर का सामान छोड़कर लोगों ने सिर्फ जान की फिक्र की और जो जहां जैसे पहुंच पाया, वहां शरण ली।
छोटा बघाड़ा बना सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका
प्रयागराज का सबसे निचला इलाका छोटा बघाड़ा इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित मोहल्लों में से एक बन गया है। यहां लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की संख्या इतनी ज्यादा है कि सभी तक समय पर मदद नहीं पहुंच पा रही है। बीती रात एक बेहद भावुक दृश्य सामने आया, जब एक नवजात शिशु और उसकी मां को घर से निकालने के लिए कोई प्रशासनिक सहायता नहीं पहुंची। मजबूरन परिजनों ने बच्चे को हाथों पर उठाकर और मां को कंधे पर बैठाकर पानी से घिरे मोहल्ले से धीरे-धीरे बाहर निकाला। इस दृश्य को देखने वालों की आंखें भर आईं। किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया, जो अब तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इसे देखकर बस एक ही बात कह रहे हैं—“गंगा मैया अब तो रहम करो!”
संगम नगरी का हाल गंभीर, दो दर्जन मोहल्ले डूबे
प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां अपने उफान पर हैं। शनिवार को जलस्तर 84.734 मीटर के पार पहुंच गया, जो खतरे के निशान से काफी ऊपर है। शहर के दो दर्जन से भी अधिक मोहल्लों में बाढ़ का पानी घरों में घुस चुका है। हजारों मकान पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं और करीब तीन हजार लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं। प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में फिलहाल इन लोगों को अस्थाई रूप से रखा गया है।
प्रशासन की ओर से राहत कार्य तेज, मंत्री करेंगे दौरा
प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई है। एनडीआरएफ की टीमें मौके पर तैनात की गई हैं और 12 नावों की मदद से लगातार रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। फिलहाल लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है, लेकिन बाढ़ की रफ्तार इतनी तेज है कि राहत कार्य भी संघर्षपूर्ण हो चुका है। राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी रविवार को प्रभावित इलाकों का निरीक्षण करेंगे और हालात का जायजा लेंगे।
जनजीवन अस्त-व्यस्त, राहत शिविरों में उम्मीद की तलाश
बाढ़ के कारण न सिर्फ लोग बेघर हुए हैं बल्कि उनका रोज़मर्रा का जीवन भी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। कई लोगों के पास खाने का सामान नहीं है, बच्चों और बुजुर्गों को दवाइयों की जरूरत है, लेकिन हर सुविधा सीमित है। प्रशासन का दावा है कि राहत शिविरों में भोजन और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की गई है, लेकिन वास्तविक हालात इससे कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हैं।