UP NEWS: संभल के बाद जौनपुर में भी लगने वाला है गाजी मियां के मेले पर संशय

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जौनपुर: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सैयद सालार मसूद गाजी मियां की याद में होने वाले मेले पर प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का असर जौनपुर जिले में भी देखने को मिल रहा है। योगी सरकार के कड़े रुख को देखते हुए जौनपुर के खेतासराय कस्बे में लगने वाले गाजी मियां के मेले को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस मामले की गहरी छानबीन के लिए जौनपुर जिला प्रशासन और एलआईयू के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। वे यह पता लगाने में जुटे हैं कि इस मेले का मुख्य कर्ताधर्ता कौन है और इसमें कौन-कौन लोग शामिल हैं।


संभल में मेला पर रोक की स्थिति

सालार मसूद गाजी मियां के नाम पर होने वाले मेले पर इस बार प्रदेश सरकार ने रोक लगा दी है। संभल में पुलिस ने इस मेले के आयोजन पर मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी भी दी है। एएसपी ने यह बयान दिया कि सालार मसूद गाजी, जो मोहम्मद गजनवी का सेनापति था, इतिहास में लूटपाट और हत्याओं के लिए जाना जाता है, और इस कारण मेले का आयोजन उचित नहीं है।


गाजी मियां के मेले की परंपरा और जौनपुर में स्थिति

गाजी मियां का मेला हर साल जौनपुर के खेतासराय क्षेत्र में आयोजित किया जाता है। यह मेला विशेष रूप से गुरुवार के दिन लगता है और इस बार आठ मई को इसकी तिथि निर्धारित की गई है। मेले के आयोजन की तैयारी भी शुरू हो चुकी है, लेकिन प्रदेश सरकार की अनुमति ना मिलने के कारण खेतासराय के मुजावर और दफाली जैसे लोग इस बार मेला लगाने को लेकर असमंजस में हैं। शुकरुल्ला और मोछू, जो इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, का कहना है कि यदि जौनपुर प्रशासन अनुमति देगा तो मेला लगेगा, अन्यथा नहीं।

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गाजी मियां का मेला और हिंदू समाज का दृष्टिकोण

गाजी मियां के इस मेले को कुछ हिंदू संप्रदाय के लोग 'राष्ट्रवीर सुहेलदेव विजय दिवस' के रूप में भी मानते हैं। इस संदर्भ में शाहगंज के डिप्टी एसपी अजीत सिंह चौहान ने कहा कि शासन के निर्देशों के तहत ही काम किया जाएगा और कोई नई परंपरा शुरू नहीं की जाएगी। बिना प्रशासनिक अनुमति के किसी प्रकार का कार्य नहीं किया जाएगा।

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गाजी मियां के मेले की विशालता और तैयारी

इस मेले में पूर्वांचल के विभिन्न अंचलों से लगभग 10,000 से अधिक लोग शामिल होते हैं। इसे सैयद सालार मसूद गाजी मियां का मेला या गुरखेत का मेला भी कहा जाता है। मेले का आयोजन खेतासराय से लेकर गोरारी बाजार तक तीन किलोमीटर के दायरे में होता है। मेले के शुरू होने से डेढ़ महीना पहले ही चिड़ियाघर, झूला, सर्कस, चरखी के साथ-साथ मिठाई, तरबूज, और खरबूज के बड़े दुकानदार यहां आकर अपनी बुकिंग कर लेते हैं। लेकिन इस बार संभल में हुए विवाद और प्रदेश सरकार के सख्त रुख के कारण अभी तक मेले के लिए किसी प्रकार की बुकिंग नहीं हुई है।


गाजी मियां की पूजा और कनूरी की परंपरा

गाजी मियां की पूजा (कनूरी) एक पुरानी परंपरा है। इसमें लकड़ी के बने निशान पर लोग 100-50 रुपये की मन्नत बांधकर उसे कपड़े में लपेटते हैं। फिर पुजारी दफाली और मुजावर के माध्यम से मिट्टी के बर्तन में चने की दाल, बैगन, चावल और बाटी चढ़ाकर पूजा की जाती है। इसके साथ ही मुर्गा और अन्य जंतुओं की बलि भी दी जाती है।

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