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फैजुल हसन कादरी: बेगम के लिए ताजमहल और समाज के लिए कन्या इंटर कॉलेज, एक अनोखी मोहब्बत की मिसाल

जानें बुलंदशहर के पोस्टमैन फैजुल हसन कादरी की कहानी, जिन्होंने अपनी बेगम की याद में ताजमहल की तरह एक अनोखा स्मारक बनाया। कादरी की मोहब्बत की यह मिसाल आज भी सबके दिलों में जिंदा है।

फैजुल हसन कादरी: बेगम के लिए ताजमहल और समाज के लिए कन्या इंटर कॉलेज, एक अनोखी मोहब्बत की मिसाल
Love Story postman faizul hassan kadri- फोटो : social media

Love Story postman faizul hassan kadri: बड़ी ही सादगी और ईमानदारी से अपनी आधी ज़िंदगी लोगों तक उनके खत पहुंचाते हुए बिताने वाले फैजुल हसन कादरी के दिल में अपनी बेगम तजुम्मली के लिए एक खास जगह थी। बुलंदशहर के कसेर कलां गांव के निवासी कादरी साहब को उनके इलाके के हर व्यक्ति से इज़्ज़त और सम्मान मिलता था।

2011 में जब उनकी पत्नी तजुम्मली बेगम का निधन हुआ, तब कादरी साहब की उम्र 80 साल थी। उस उम्र में अपनी जीवनसाथी को खो देने के बाद जहां अधिकांश लोग गम में डूबकर अपनी यादों में खो जाते हैं, वहीं कादरी साहब ने अपने प्यार को एक नई मिसाल में बदलने का फैसला किया।

बेगम के लिए ताजमहल

फैजुल हसन कादरी ने अपनी बेगम की याद में एक ताजमहल बनाने का संकल्प लिया। अब आप सोच सकते हैं कि ताजमहल तो पहले ही शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज़ के लिए बनवा दिया था। पर फर्क यह है कि शाहजहां एक बादशाह थे, जिनके पास अपार धन-संपत्ति थी। कादरी साहब तो एक साधारण पोस्टमैन थे, जिनकी आर्थिक स्थिति सामान्य थी, लेकिन उनकी मोहब्बत किसी बादशाह से कम नहीं थी।

मोहब्बत की निशानी

बुलंदशहर के कसेर कलां गांव में, फैजुल हसन कादरी ने अपनी छोटी-सी ज़मीन पर एक मिनी ताजमहल का निर्माण शुरू कराया। गांव के ही राजमिस्त्री को उन्होंने यह काम सौंपा। इसके लिए कादरी साहब पहले मिस्त्री को असली ताजमहल दिखाने आगरा लेकर गए, ताकि वह उसकी बनावट को समझ सके।

कादरी साहब ने अपनी सारी जमा पूंजी, लगभग 23 लाख रुपये, इस स्मारक को बनाने में खर्च कर दिए। हालांकि, संगमरमर का काम अभी बाकी था, जिसके लिए उन्हें 10 लाख रुपये की ज़रूरत थी। इसके लिए उन्होंने अपनी पेंशन से पैसे बचाने शुरू कर दिए, ताकि वह अपने अधूरे ताजमहल को पूरा कर सकें। लेकिन वे सिर्फ 74,000 रुपये ही जमा कर पाए थे कि 2018 में एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई।

गांववालों की मदद

ऐसा नहीं है कि लोगों ने उनकी मदद नहीं करनी चाही। कई लोगों ने कादरी साहब की मदद के लिए हाथ बढ़ाए, लेकिन उन्होंने किसी से आर्थिक सहायता लेने से इनकार कर दिया। उनके लिए यह मोहब्बत का एक निजी काम था, जिसे वे अपनी मेहनत और अपने संसाधनों से पूरा करना चाहते थे।

एक अनोखी विरासत

हालांकि, फैजुल हसन कादरी अपनी बेगम के लिए ताजमहल पूरा नहीं कर पाए, लेकिन उनकी मोहब्बत की यह कहानी आज भी बुलंदशहर और आसपास के इलाकों में लोगों के दिलों में जिंदा है। उनकी यह निशानी एक साधारण इंसान की बेइंतेहां मोहब्बत की मिसाल है, जो अपने जीवनसाथी के लिए कुछ भी कर गुजरने की चाहत रखता था।

कन्या इंटर कॉलेज भी बनवाया

फैजुल हसन कादरी की बेइंतेहा मोहब्बत ने उन्हें एक ऐसी मिसाल बना दिया, जिसे आज भी लोग याद करते हैं। उन्होंने अपनी पत्नी तजुम्मली बेगम की याद में न सिर्फ एक ताजमहल बनाया, बल्कि समाज के लिए एक और बड़ा कदम उठाते हुए एक कन्या इंटर कॉलेज भी बनवाया। उनकी यह मोहब्बत न सिर्फ उनके गांव बल्कि सात समंदर पार तक चर्चा का विषय बन गई।

ताजमहल: बेगम के लिए खास तोहफा

जब फैजुल हसन कादरी ने अपनी बेगम की याद में ताजमहल बनाने का फैसला किया, तो लोगों ने उनकी मदद करने की पेशकश की। लेकिन कादरी साहब ने इसे साफ तौर पर ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, "यह मेरी बेगम के लिए मेरा तोहफा है, इसमें किसी और की हिस्सेदारी नहीं हो सकती।" उनकी इस भावना ने उनकी मोहब्बत को और भी खास बना दिया।

यह मिनी ताजमहल न सिर्फ बुलंदशहर या उत्तर प्रदेश में मशहूर हुआ, बल्कि विदेशों तक इसकी चर्चा हुई। कई सैलानी इसे देखने के लिए दूर-दूर से आए। कादरी साहब की इस अनोखी मोहब्बत पर 'द रियल थिंग' नाम की एक डॉक्यूमेंटरी भी बनाई गई है, जिसने इस कहानी को और भी व्यापक रूप से सामने रखा।

समाज के लिए योगदान: कन्या इंटर कॉलेज

फैजुल हसन कादरी सिर्फ अपनी बेगम के प्रति मोहब्बत ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझते थे। उन्होंने अपनी बेगम की याद में एक तीन मंजिला कन्या इंटर कॉलेज भी बनवाया, ताकि लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके। इस नेक काम के लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था।

हालांकि, यह इंटर कॉलेज लंबे समय तक नहीं चल पाया, फिर भी कादरी साहब ने जो पहल की, वह उनके समाज के प्रति समर्पण को दिखाता है। वे चाहते थे कि लड़कियों को अच्छी शिक्षा मिले और उनके गांव की बेटियां भी आगे बढ़ सकें।

मोहब्बत और समाज सेवा का अनोखा मेल

फैजुल हसन कादरी की कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की सारी जमा पूंजी अपनी बेगम और समाज के नाम कर दी। वे चाहते तो अपने जमा किए पैसों से आरामदायक ज़िंदगी बिता सकते थे, लेकिन उन्होंने अपनी ज़िंदगी के हर पहलू को मोहब्बत और सेवा में समर्पित कर दिया।

उनकी यह अनोखी मोहब्बत और समाज सेवा की कहानी हमें बताती है कि सच्चा प्यार और सेवा कभी धन-संपत्ति पर निर्भर नहीं होते। कादरी साहब का यह अनोखा ताजमहल आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है और उनकी बेगम के प्रति उनका प्यार अमर हो चुका है।

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