UP NEWS: उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा ने तीसरी बार रामवीर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। रामवीर सिंह इससे पहले दो बार इसी सीट से और एक बार देहात विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए। भाजपा का मानना है कि रामवीर इस बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद रिजवान को कड़ी टक्कर दे सकते हैं और पार्टी को जीत दिला सकते हैं।
रामवीर सिंह का राजनीतिक सफर
मूंढापांडे के निवासी रामवीर सिंह ने 1993 में भाजपा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। पार्टी में उन्होंने जिला महामंत्री और किसान मोर्चा के महामंत्री जैसे अहम पदों का दायित्व निभाया है। 2007 में वह देहात विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें सपा प्रत्याशी उस्मानुल हक से लगभग 3,000 मतों से हार का सामना करना पड़ा। 2012 और 2017 के कुंदरकी चुनाव में भी रामवीर का मुकाबला सपा के मोहम्मद रिजवान से हुआ, जिसमें दोनों बार उन्हें पराजय झेलनी पड़ी। 2017 में रिजवान को 1,10,561 और रामवीर को 99,740 मत मिले थे, जिससे वे 10,821 मतों से हार गए थे।
2022 में पार्टी ने प्रत्याशी बदलते हुए कमल प्रजापति को मैदान में उतारा, लेकिन सपा के जियाउर्रहमान बर्क ने भाजपा को 42,998 मतों से हरा दिया। अब भाजपा ने उपचुनाव के लिए फिर से रामवीर सिंह पर विश्वास जताया है और उन्हें उम्मीद है कि वे इस बार कुंदरकी में भाजपा की नैय्या पार लगाएंगे।
पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि
रामवीर सिंह का परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है। उनके पिता शिवराज सिंह सहकारी समिति के सभापति थे और उनके बड़े भाई जसवीर सिंह गांव दौलारी के ग्राम प्रधान के रूप में 35 साल तक सेवा दे चुके हैं। उनकी पत्नी संतोष कुमारी 2001 में मूंढापांडे की ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं और वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य के रूप में कार्यरत हैं।
भाजपा को विकास कार्यों पर भरोसा
भाजपा के जिलाध्यक्ष आकाश पाल का कहना है कि पार्टी ने कुंदरकी में कई विकास कार्य किए हैं और संगठन पूरी ताकत से रामवीर सिंह का समर्थन कर रहा है। भाजपा का मानना है कि क्षेत्र में हुए विकास कार्यों और संगठन की मजबूती से रामवीर सिंह को जीत मिल सकती है। इस बार कुंदरकी उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच की टक्कर फिर से दिलचस्प होने की उम्मीद है, जहां रामवीर सिंह और मोहम्मद रिजवान आमने-सामने होंगे।