shahi snan kumbh mela 2025: कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं. शाही स्नान कुंभ मेले का विशेष हिस्सा है, जिसे सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति कुंभ स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह स्नान विभिन्न तिथियों पर होता है, जहां नागा साधु विशेष रूप से भाग लेते हैं.
शाही स्नान की धार्मिक मान्यताएं
शाही स्नान के दिन को सूर्य और गुरु जैसे ग्रहों की स्थिति देखकर चुना जाता है. यह माना जाता है कि ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में धन, सुख-संपत्ति और समृद्धि लाते हैं. नागा साधु, जो धर्म के रक्षक माने जाते हैं, मुगलकाल में धर्म की रक्षा के लिए अपनी तपस्या छोड़कर मुगलों से टकराए थे. इसलिए उन्हें सम्मानित करने के लिए शाही स्नान की व्यवस्था की जाती है, जिसमें वे हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर स्नान के लिए आते हैं.
नागा साधुओं द्वारा प्रथम स्नान
नागा साधु कुंभ मेले के पहले दिन, मकर संक्रांति को, शाही स्नान करते हैं. यह स्नान एक प्राचीन परंपरा है, जो उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. मुगलकालीन साम्राज्य में नागा साधुओं ने हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों का सामना किया और धर्म की रक्षा के लिए अपनी जान भी न्यौछावर की. इसलिए उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उन्हें पहले स्नान का अधिकार दिया जाता है.
शाही स्नान के दौरान की जाने वाली विशेष व्यवस्था
शाही स्नान के समय प्रयागराज में विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं. नागा साधु, जो सामान्यतः हिमालय में निवास करते हैं, इस समय गंगा में स्नान के लिए आते हैं. स्नान से पहले मंत्रोच्चारण, शंख ध्वनि और धूप-दीप की व्यवस्था की जाती है. नागा साधुओं के स्नान के बाद ही आम लोग स्नान करते हैं.
शाही स्नान की तिथियां
कुंभ मेला 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा. इस दौरान निम्नलिखित तिथियों पर शाही स्नान किया जाएगा:
14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025 - मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025 - बसंत पंचमी
शाही स्नान कुंभ मेले के मुख्य आकर्षणों में से एक है और श्रद्धालु इस दिन का विशेष रूप से इंतजार करते हैं.