साइबर धोखाधड़ी के शिकार हुए चार बार के सांसद, एसबीआई के खाते से निकाल लिए 55 लाख रुपए, हैरान कर देगा ठगी का तरीका
N4N Desk - साइबर ठगों के निशाने पर हर तबके के लोग हैं। जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर और कई अधिकारी अब तक शिकार हो चुके हैं. अब साइबर ठगों ने चार बार के लोकसभा सांसद व ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी को निशाना बनाया है। ठगों ने उनके निष्क्रिय पड़े एसबीआई के एकाउंट को फर्जी दस्तावेज के जरिएस एक्टिवेट किया और खाते से लगभग 55 रुपए निकाल लिए। मामले की जानकारी मिलने के बाद कोलकाता में एसबीआई की हाईकोर्ट शाखा ने इस मामले में साइबर अपराध थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद जांच शुरू कर दी गई है।
सांसद के जाली पैन और आधार कार्ड बनाया
बैंक की शिकायत के मुताबिक, साइबर अपराधियों ने जाली पैन और आधार कार्ड तैयार किए, जिन पर कल्याण बनर्जी की तस्वीर लगाई गई थी। इन जाली दस्तावेजों की मदद से अपराधियों ने उनके पुराने खाते की केवाईसी अपडेट कर दी। इसके बाद 28 अक्तूबर को खाते में दर्ज मोबाइल नंबर भी बदल दिया गया, जिससे उन्हें खाते पर पूरा नियंत्रण मिल गया।
शिकायत के मुताबिक, खाते की जानकारी मिलने के बाद ठगों ने कई ऑनलाइन लेनदेन किए और करीब 56 लाख 39 हजार 767 रुपये इंटरनेट बैंकिंग के जरिए निकाल लिए।
गहने खरीदने में इस्तेमाल की गई रकम
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, निकाली गई रकम को कई अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया, एटीएम से निकाला गया और यहां तक कि गहने खरीदने में भी इस्तेमाल किया गया। कोलकाता पुलिस के साइबर क्राइम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पूरे मामले की गहराई से जांच की जा रही है।
हम बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि खाते तक पहुंच कैसे बनाई गई। ठगों और पैसे के अंतिम गंतव्य का पता लगाने के लिए प्रयास जारी हैं।
अधिकारियों ने बताया कि फर्जी केवाईसी प्रक्रिया के दौरान अपराधियों ने कल्याण बनर्जी की तस्वीर का इस्तेमाल किया। लेकिन मोबाइल नंबर किसी और का लगाया गया था।
2006 से निष्क्रिय था एकाउंट
रिपोर्ट के मुताबिक, यह खाता कई वर्षों से निष्क्रिय था। इस खाते को तब खोला गया था, जब कल्याण बनर्जी 2001 से 2006 के बीच आसनसोल (दक्षिण) से विधायक थे और विधायक के रूप में उन्हें मिलने वाला वेतन इसी खाते में आता था। उस समय से यह खाता बंद पड़ा था। लेकिन अब इसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए दोबार चालू कर धोखाधड़ी की गई।