बिहार के शिक्षा विभाग का अजीबोगरीब कारनामा, मुर्दे से ही मांग ली स्पष्टीकरण, सोशल मीडिया पर लोग उड़ाने लगे मजाक

बिहार शिक्षा विभाग ने मृत और सेवानिवृत्त शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा, जिससे विभाग की लापरवाही इंटरनेट मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। जानें पूरा मामला।

बिहार के शिक्षा विभाग का अजीबोगरीब कारनामा, मुर्दे से ही मांग ली स्पष्टीकरण, सोशल मीडिया पर लोग उड़ाने लगे मजाक
शिक्षा विभाग का कारनामा- फोटो : freepik

Bihar news: बिहार के अररिया जिले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। डीपीओ स्थापना रवि रंजन ने 1024 शिक्षकों से ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज न करने पर स्पष्टीकरण मांगा। इसमें मृत और सेवानिवृत्त शिक्षक भी शामिल थे, जिससे इंटरनेट मीडिया पर विभाग की जमकर खिल्ली उड़ाई जा रही है।

मृत और सेवानिवृत्त शिक्षक भी सूची में

जानकारी के अनुसार, परमानंद ऋषिदेव, मंजूर आलम, नसीम अख्तर, और अन्य कई शिक्षकों का पिछले साल देहांत हो चुका है, लेकिन इनका नाम अब भी पोर्टल पर मौजूद है। इसके अलावा कई सेवानिवृत्त शिक्षकों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिससे विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

विभाग की लापरवाही पर प्रतिक्रिया

शिक्षक संघ के नेता जफर रहमानी ने इस लापरवाही पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विभाग ने ऐसा दुर्लभ रिकॉर्ड बनाया है, जो अन्य जिलों में देखने को नहीं मिलेगा। सोशल मीडिया पर लोग मजाक कर रहे हैं कि अब कब्र से भी मुर्दे जवाब देंगे।

डीपीओ का बयान

डीपीओ स्थापना रवि रंजन ने कहा कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक और बीईओ की जिम्मेदारी थी कि वे मृत शिक्षकों की जानकारी विभाग को दें। उनकी लापरवाही के कारण पोर्टल पर इन शिक्षकों के नाम नहीं हटाए गए। अब ऐसे प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षक संघ की प्रतिक्रिया

अब्दुल कुद्दूस, जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ, अररिया ने कहा कि विभाग को पहले से समीक्षा करनी चाहिए थी। सर्वर की समस्या के कारण कई शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं कर सके। विभाग की इस गलती ने उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

शिक्षा विभाग की लापरवाही

शिक्षा विभाग की इस लापरवाही ने प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। विभाग को भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए अधिक सतर्कता बरतनी होगी ताकि शिक्षकों और जनता के बीच विश्वास बना रहे।

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