NDA Vice President candidate: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा के बाद नए उत्तराधिकारी की तलाश शुरू, इन नामों पर मंथन तेज
NDA Vice President candidate:जगदीप धनखड़ के इस अप्रत्याशित कदम से उनके उत्तराधिकारी को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
NDA Vice President candidate: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम अचानक इस्तीफा देकर न केवल देश को चौंकाया बल्कि राजनीतिक गलियारों में हलचल भी तेज कर दी। धनखड़ के इस अप्रत्याशित कदम से उनके उत्तराधिकारी को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। चूँकि एनडीए को संसद के दोनों सदनों में बहुमत प्राप्त है, इसलिए उपराष्ट्रपति पद पर उसकी पसंद का नेता निर्वाचित होने की संभावना प्रबल है, परंतु धनखड़ का अचानक हटना खुद सत्ता पक्ष के लिए असहज स्थिति बन गया है।
धनखड़ के तीन साल के कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में उनकी भूमिका कई बार चर्चा में रही। वे सदन में विपक्ष के साथ अक्सर टकराते रहे और कई मौकों पर संवेदनशील मुद्दों पर तीखे बयान देकर खुद सत्तारूढ़ दल के लिए भी असहजता का कारण बने। उनके इस्तीफे को लेकर फिलहाल आधिकारिक कारण सामने नहीं आया है, लेकिन सत्ता और संगठन के बीच संभावित असहमति की अटकलें लगाई जा रही हैं।
कौन हो सकता है अगला उपराष्ट्रपति?
हरिवंश नारायण सिंह, वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति, जनता दल (यू) के सांसद वर्ष 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं,सरकार के प्रति विश्वसनीय माने जाते हैं।उनके अनुभव और संतुलित छवि के कारण उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
धनखड़ स्वयं उपराष्ट्रपति बनने से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे।संभावना है कि इसी तर्ज पर किसी अनुभवी और राजनीतिक रूप से संतुलित राज्यपाल को यह जिम्मेदारी दी जाए। भाजपा संगठन या कैबिनेट से किसी वरिष्ठ नेता का चयन भी संभव है।यह विकल्प तब ज्यादा प्रासंगिक हो सकता है, जब पार्टी 2029 की चुनावी रणनीति को दृष्टिगत रखते हुए सामाजिक समीकरण साधना चाहे।
एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत है। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद पर उसकी पसंद का उम्मीदवार चुनने में कोई तकनीकी अड़चन नहीं है। लेकिन राजनीतिक संकेत और संदेश देने के लिहाज से चयन को लेकर संगठन सतर्कता बरतेगा।
धनखड़ का इस्तीफा जहां अचानक और अप्रत्याशित रहा, वहीं इसने आगामी उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर अटकलों को हवा दे दी है। सत्ता पक्ष अब ऐसे उम्मीदवार की तलाश में है जो न केवल सदन में सधे हुए ढंग से काम कर सके, बल्कि राजनीतिक संतुलन और संवाद की आवश्यकता को भी समझता हो।आने वाले दिनों में भाजपा नेतृत्व इस पद के लिए नाम तय करेगा, और संभवतः हरिवंश नारायण सिंह या किसी अनुभवी राज्यपाल का नाम सबसे आगे रह सकता है।